नई दिल्लीः एक दौर ऐसा भी रहा, जब भारत मोबाइल सेक्टर में आयात पर निर्भर रहता था, लेकिन वक्त बदलने के साथ ही भारत अब वैश्विक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात का अहम केंद्र बन चुका है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (CDS) की ताज़ा स्टडी के अनुसार, भारत ने 2014-15 से 2024-25 के बीच एक बड़ी छलांग लगाई है, जहां अब मोबाइल निर्यात घरेलू मांग से भी आगे निकल चुका है।
भारत का मोबाइल निर्यात वर्ष 2017-18 में मात्र 0.2 अरब डॉलर था, जो वर्ष 2024-25 में बढ़कर 24.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। देश अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक बन चुका है। यह बढ़त केवल असेंबलिंग से आगे जाकर स्थानीय उत्पादन, पुर्जों के निर्माण और तकनीकी गहराई के चलते संभव हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मोबाइल फोन उत्पादन में घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) अब 23 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। इसमें प्रत्यक्ष उत्पादन के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी स्थानीय इकाइयों का भी अहम योगदान है। साल 2022-23 में यह योगदान 10 अरब डॉलर से अधिक रहा।
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने वर्ष 2022-23 में 17 लाख नौकरियों का सृजन किया, जिसमें से अधिकांश रोजगार निर्यात से जुड़े क्षेत्रों में उत्पन्न हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इन नौकरियों में 33 गुना वृद्धि हुई है, जो उद्योग के विस्तार की स्पष्ट गवाही है।
रिपोर्ट का मुख्य निष्कर्ष यह है कि सरकार की PLI योजना, निर्यात प्रोत्साहन और ग्लोबल वैल्यू चेन (GVC) में रणनीतिक एकीकरण ने इस बदलाव में निर्णायक भूमिका निभाई है। CDS निदेशक प्रो. सी. वीरमणि ने कहा कि भारत ने “पहले स्केल, फिर वैल्यू” की रणनीति अपनाकर एशिया की सफल अर्थव्यवस्थाओं के मॉडल को दोहराया है।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि यह रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि रणनीतिक GVC भागीदारी ने निर्यात, घरेलू उत्पादन और रोजगार सृजन को एक नई ऊंचाई दी है।
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