Parliament Session: भारत बना वैश्विक हवाई यात्रा हब, पांच साल में एविएशन सेक्टर में 96,000 करोड़ का निवेश

खबर सार :-
हवाई यात्रा के क्षेत्र में भारत नित नए आयाम गढ़ रहा है। केंद्रीय नागर विमान मंत्री राम मोहन नायडू के अनुसार 2019 से 2025 के बीत तरकीबन 96,000 करोड़ रुपये का निवेश एविएशन सेक्टर में हुआ है। इसका मकसद हवाई अड्डों के आधनिकीकरण से लेकर यात्री सुविधाओं का विस्तार करना और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को अधिक से अधिक इम्प्रूव करना रहा है।

Parliament Session: भारत बना वैश्विक हवाई यात्रा हब, पांच साल में एविएशन सेक्टर में 96,000 करोड़ का निवेश
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली: भारत के एविएशन सेक्टर ने बीते पांच वर्षों में जबरदस्त उछाल देखा गया है। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री के. राममोहन नायडू ने गुरुवार को संसद में जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2019-20 से 2024-25 के बीच एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और उसके पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) उपक्रमों ने संयुक्त रूप से 96,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह निवेश मुख्य रूप से हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण, क्षमता विस्तार और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए किया गया है।

यात्री संख्या में हुआ 9 प्रतिशत का वार्षिक इजाफा

केंद्रीय मंत्री नायडू के अनुसार, वर्तमान में भारत में 162 ऑपरेशनल एयरपोर्ट्स हैं, जिनमें हेलीपोर्ट और वाटर एयरोड्रोम भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2024-25 में भारत के हवाई अड्डों पर कुल 41.2 करोड़ यात्रियों ने सफर किया, जिसमें 7.7 करोड़ अंतरराष्ट्रीय और 33.5 करोड़ घरेलू यात्री शामिल हैं। यह संख्या पिछले वर्षों की तुलना में 9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाती है। इस अवधि में भारतीय शेड्यूल्ड एयरलाइंस ने 835 घरेलू और 251 अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर उड़ानें संचालित कीं, जिससे हवाई नेटवर्क में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

आरसीएस-उड़ान योजना ने जोड़े 637 नए रूट्स

नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि वर्ष 2016 में शुरू की गई ‘उड़े देश का आम नागरिक (UDAN)’ योजना के तहत अब तक 637 आरसीएस रूट्स चालू हो चुके हैं, जो 92 अप्रयुक्त और कम-उपयोग वाले हवाई अड्डों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ते हैं। इसमें 15 हेलीपोर्ट और दो वाटर एयरोड्रोम भी शामिल हैं।

ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स के लिए खास नीति

देश में नए एयरपोर्ट्स के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स नीति, 2008 लागू है। इसके तहत किसी भी डेवलपर को पूर्व-अध्ययन और सरकारी अनुमोदन के बाद ही निर्माण की अनुमति मिलती है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि अभी तक पालघर (महाराष्ट्र), पचमढ़ी या मटकुली (मध्य प्रदेश) से कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।

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