नई दिल्लीः भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान सबसे पुराने और ऐतिहासिक लड़ाकू विमानों में शुमार हैं। वायुसेना ने अपने इस विमान को अलविदा कहने का बड़ा निर्णय लिया है। 19 सितंबर 2025 को मिग-21 लड़ाकू विमान को भारतीय वायुसेना के बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि वायुसेना मिग-21 की कमी तेजस मार्क 1 ए से पूरी करेगी।
रक्षा अधिकारियों के मुताबिक चंडीगढ़ एयरबेस पर 23 स्क्वाड्रन (पैंथर्स) एक विशेष कार्यक्रम के दौरान इन विमान को विदाई दी जाएगी। समय के साथ पुराने होते और बार-बार हादसों का शिकार होने के कारण मिग-21 लड़ाकू विमानों को ‘उड़ता ताबूत' तक कहा जाने लगा था। इसलिए वायुसेना को बड़ा निर्णय लेना पड़ा है। गौरतलब है कि मिग-21 पूर्व में भारतीय वायुसेना का एक भरोसेमंद व मजबूत लड़ाकू विमान माना जाता था। इस विमान ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मन देश के छक्के छुड़ा दिए थे। इसके बाद 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग-21 की भूमिका अहम रही। यही नहीं, बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी मिग-21 की भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा। मिग-21 विमान को सोवियत यूनियन से खरीदा गया है।
इसे 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। मिग-21 ने आखिरी बार वर्ष 2025 में ऑपरेशन सिंदूर में हिस्सा लिया था। यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था और 62 साल तक भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहा है। मिग-21 के बाहर होने के बाद वायुसेना की स्क्वाड्रन 29 रह जाएंगी। स्क्वाड्रन की यह संख्या वर्ष 1965 के युद्ध के समय से भी कम है। यह कमी स्वदेशी तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों से पूरी की जा सकती है।
गौरतलब है कि मिग-21 का आखिरी वर्जन, मिग-21 बाइसन, 2000 में अपग्रेड किया गया था। इन सबके बावजूद मिग-21 लगातार कई बार हादसों का शिकार हुआ है। आंकड़ों पर गौर करें, तो 60 वर्षों में कई मिग-21 क्रैश हुए हैं, जिनमें कई पायलट्स की जान भी गई है। इसलिए मिग-21 को 'उड़ता ताबूत' भी कहा जाने लगा है। जहां एक और मिग-21 वायुसेना के बेड़े से बाहर हो रहा है वहीं भारतीय फाइटर जेट तेजस मार्क-1ए के निर्माण में अब तेजी आ रही है। इस लड़ाकू विमान के लिए अमेरिकी कंपनी ने भारत को जेट इंजन की सप्लाई भी शुरू कर दी है। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस मार्क-1ए के लिए भारत को जीई-404 इंजन प्राप्त हुआ है। भारत के रक्षा अधिकारियों के अनुसार यह अमेरिकी कंपनी से मिला जीई-404 इंजन दूसरा जेट इंजन है। हमारे देश में सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को तेजस के निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय विमानन कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को वित्त वर्ष 2025-2026 के अंत तक कुल 12 जीई-404 इंजन मिलने हैं। ये सभी इंजन भारतीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-1ए में लगाए जाएंगे। इसलिए भारतीय वायुसेना ने अपनी फ्लीट के लिए 83 एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया है। इसके पीछे सबसे बड़ा मकसद भारतीय वायुसेना को नए लड़ाकू विमानों की आवश्यकता को जल्द से जल्द पूरा करना है। यही नहीं, भारतीय वायुसेना ने लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने के लिए स्वदेशी लड़ाकू विमानों का विकल्प चुना है। इसलिए सरकार लड़ाकू विमानों को बड़ा बजट खर्च कर रही है।
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