Digital Economy Growth: 2025 के अंत तक 1 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी भारत की ‘डिजिटल इकोनॉमी’

खबर सार :-
भारत की 'डिजिटल इकोनॉमी' तेजी से ग्रोथ कर रही है। इसमें केंद्र सरकार की 'डिजिटल इंडिया' मुहिम का सबसे बड़ा योगदान है। डीआईपीए के महानिदेशक मनोज कुमार सिंह के मुताबिक वर्ष 2025 के आखिर तक भारत की 'डिजिटल इकोनॉमी' 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।

खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत सरकार की डिजिटल इंडिया मुहिम की वजह से अब हर व्यक्ति टेक्नो फ्रेंडली हो गया है। अब लोग कैश पेमेंट करने की जगह ऑनलाइन पेमेंट करने में रुचि ले रहे हैं, क्योंकि यह आसान होने के साथ-साथ सुरक्षित भी है। ऐसे में देश में मोबाइल फोन और इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। शहर हो या गांव अधिकांश व्यक्तियों के साथ में स्मार्ट फोन है। अब लोग इंटरनेट और मोबाइल के माध्यम से बैंकिंग, बिजनेस, ऑफिस, एजुकेशन, इंटरटेनमेंट और हेल्थ से संबंधित जानकारी एक क्लिक पर आसानी से मालूम कर लेते हैं। देश में मोबाइल फोन और उससे जुड़ी एक्सेसरीज की मैन्युफैक्चरिंग के कारण 'डिजिटल इकोनॉमी' भी तेजी से ग्रोथ कर रही है। वर्ष 2025 के आखिर तक 'डिजिटल इकोनॉमी' 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे का अनुमान है।

अर्बन वायरलेस टेलीडेंसिटी का आंकड़ा 131.45 प्रतिशत के पार

 डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन यानी डीआईपीए ने मंगलवार को बताया कि अर्बन वायरलेस टेलीडेंसिटी 131.45 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर चुकी है। जीडीपी में टेलीकम्युनिकेशन का योगदान 6.5 प्रतिशत से अधिक हो गया है। देश में डिजिटल कनेक्टिविटी अपनी पारंपरिक सीमाओं को पार कर गई है। इसलिए वर्ष 2025 के अंत तक 'डिजिटल इकोनॉमी' 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया गया है। डीआईपीए के महानिदेशक मनोज कुमार सिंह के अनुसार हम परिवेशी बुद्धिमत्ता यानी एंबिएंट इंटेलिजेंस के जन्म के साक्षी हैं, जहां कनेक्टिविटी दैनिक जीवन के हर पहलू को सशक्त बनाने वाली अदृश्य शक्ति बन चुकी है। भारत का टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों को जोड़ने के लिए ही नहीं बल्कि, समाज के अलग-अलग पहलुओं को आपस में कनेक्ट करे और संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आने वाला भविष्य कनेक्टेड लिविंग एनवॉयरमेंट का है, जहां स्वचालित सिस्टम, मेश नेटवर्क और इंटेलिजेंट एप्लिकेशन मिलकर मानवीय अनुभव को और अधिक बेहतर बनाने के लिए काम करते हैं। यह वृद्धिशील सुधार मात्र ही नहीं है, बल्कि यह टेक्नोलॉजी मानवता की सेवा की मौलिक पुनर्कल्पना है।

देश में स्थापित हो चुके हैं 4.78 लाख 5जी बीटीएस

मनोज सिंह के अनुसार भारत के दूरसंचार ऑपरेटरों ने मार्च 2025 तक 4.78 लाख 5जी बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) स्थापित किए हैं, जो सभी तकनीकों में कुल 30 लाख बीटीएस का योगदान करते हैं। लेकिन, असली इनोवेशन इंफ्रास्ट्रक्चर में नहीं, बल्कि उसमें निहित है, जो इसे सक्षम बनाता है। यही नहीं, कनेक्टेड लिविंग ने स्वास्थ्य सेवा में आईओटी मेडिकल डिवाइस के माध्यम से पेशेंट मॉनीटरिंग में क्रांति ला दी है, जो महत्वपूर्ण डेटा को एआई सिस्टम तक पहुंचाते हैं। यह एआई सिस्टम विसंगतियों के 'क्लीनिकली अपीयर' होने से कई घंटों और दिनों पहले पता लगाने में सक्षम है। ग्रामीण क्षेत्र जो पहले चिकित्सा पेशेवरों द्वारा कम सेवा प्राप्त करते थे, अब मजबूत कनेक्टिविटी द्वारा सक्षम उच्च-परिभाषा टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेष देखभाल तक पहुंच प्राप्त करते हैं।

कृषि और मौसम से जुड़ी सटीक जानकारियां जुटाने में भी मददगार

डीआईपीए के महानिदेशक के अनुसार, सटीक खेती नेटवर्क के माध्यम से कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। देश में हजारों सेंसर मिट्टी की स्थिति, मौसम के पैटर्न और फसल के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं। किसानों ने औसतन 28 प्रतिशत की उपज में वृद्धि की रिपोर्ट की है, जबकि उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल करने के कारण पानी की खपत में 31 प्रतिशत की कमी आई है। भौगोलिक सीमाओं को मिटाने वाले इमर्सिव कनेक्टेड क्लासरूम के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से बदलाव लाया जा रहा है। दूरदराज के क्षेत्रों में छात्र अब लगभग होलोग्राफिक अनुभवों के माध्यम से देश के अग्रणी प्रशिक्षकों से जुड़ रहे हैं। कनेक्टेड लिविंग रिएक्टिव से प्रीडिक्टिव सिस्टम में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। यह विजन 2030 तक कमर्शियल 6जी डेप्लॉयमेंट तक फैला हुआ है, जो भौतिक और डिजिटल क्षेत्रों के बीच बाधाओं को कम करने का वादा करता है।

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