ICRA Report: रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स में जबरदस्त उछाल, एयूएम में 226 प्रतिशत की वृद्धि,

खबर सार :-
देश में म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के अनुसार लोग अपने भविष्य को सुरक्षित रखने को लेकर अधिक सतर्क हो रहे हैं। इसलिए रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स के प्लान में काफी धन इनवेस्ट कर रहे हैं।

ICRA Report: रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स में जबरदस्त उछाल, एयूएम में 226 प्रतिशत की वृद्धि,
खबर विस्तार : -

मुंबईः भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। भारतीय निवेशकों का रुझान अब पारंपरिक निवेश विकल्पों से हटकर दीर्घकालिक योजनाओं की ओर बढ़ रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण रिटायरमेंट म्यूचुअल फंड्स में बीते पांच वर्षों में आए बडे उछाल के रूप में दिखता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जून 2025 तक इन फंड्स का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) 226.25 प्रतिशत बढ़कर ₹31,973 करोड़ पर पहुंच गया है, जो जून 2020 में मात्र ₹9,800 करोड़ था।

आईसीआरए की रिपोर्केट  अनुसार म्यूचुअल फंड्स में आई तेजी सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है। रिटायरमेंट फंड्स में निवेशकों की भागीदारी में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। कुल फोलियो की संख्या जून 2025 में 18.21 प्रतिशत बढ़कर 30.09 लाख हो गई है, जो जून 2020 में 25.46 लाख थी। इससे स्पष्ट है कि लोग अब रिटायरमेंट को एक गंभीर वित्तीय लक्ष्य मानने लगे हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म और जागरूकता ने बदली तस्वीर

आईसीआरए एनालिटिक्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अश्विनी कुमार के अनुसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म और रोबो-सलाहकारों की उपलब्धता ने निवेशकों को न केवल आसानी से निवेश की सुविधा दी है, बल्कि उम्र, जोखिम प्रोफ़ाइल और रिटायरमेंट लक्ष्यों के अनुरूप पोर्टफोलियो तैयार करने में भी मदद की है। उन्होंने बताया कि पारदर्शिता में सुधार और निवेशक सुरक्षा के लिए बनाए गए नए रेगुलेशन्स ने भी निवेशकों का भरोसा मजबूत किया है।

नतीजे: रिटर्न और स्कीम्स में भी इजाफा

रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायरमेंट-केंद्रित म्यूचुअल फंड्स की संख्या भी पांच वर्षों में बढ़कर 29 हो गई है (जून 2020 में 24 थी)। इन फंड्स ने 1 वर्ष में 6.79%, 3 वर्षों में 15.72% और 5 वर्षों में 14.64% का औसत चक्रवृद्धि वार्षिक रिटर्न दिया है। ये फंड्स डेट और इक्विटी दोनों सेगमेंट में निवेश करते हैं — जहां डेट से स्थिरता मिलती है, वहीं इक्विटी से लंबी अवधि में पूंजीवृद्धि होती है। अधिकांश योजनाओं में पांच वर्ष या रिटायरमेंट तक लॉक-इन अवधि होती है।

बदलते भारत की वित्तीय मानसिकता

भारत में जीवन प्रत्याशा और स्वास्थ्य खर्च में इजाफा, पारिवारिक संरचना में बदलाव और वित्तीय आत्मनिर्भरता की बढ़ती आवश्यकता ने रिटायरमेंट निवेश को केंद्र में ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह रुझान और मजबूत होगा।

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