एमपीसी बैठक की शुरुआत, बाजार की नजरें नीतिगत दरों पर टिकीं

खबर सार :-
आरबीआई की इस बार की एमपीसी बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है। जहां एक ओर मजबूत जीडीपी ग्रोथ और संतुलित मुद्रास्फीति के चलते अधिकांश विशेषज्ञ रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम बता रहे हैं, वहीं कुछ संस्थान 25 बीपी कटौती की उम्मीद भी जता रहे हैं। अब सबकी निगाहें शुक्रवार को आने वाले फैसले पर टिकी हैं, जो आर्थिक गतिविधियों की दिशा तय करेगा।

एमपीसी बैठक की शुरुआत, बाजार की नजरें नीतिगत दरों पर टिकीं
खबर विस्तार : -

MPC Meeting Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक आज बुधवार से शुरू हो रही है। इस बैठक के नतीजे शुक्रवार को सामने आएंगे, जिसमें यह तय होगा कि रेपो रेट में कोई परिवर्तन किया जाएगा या नहीं। बाज़ार, उद्योग और निवेशकों की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं क्योंकि यह आगे की आर्थिक गतिविधियों और कर्ज की लागत पर सीधा प्रभाव डालता है।

ग्रोथ स्ट्रॉन्ग, नियंत्रण में महंगाई

यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब देश में मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर बनी हुई है और जीडीपी ग्रोथ ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रियल जीडीपी ग्रोथ 8.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह आंकड़ा 5.6 प्रतिशत था। यह तेजी भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और व्यापक सुधार का संकेत देती है। अक्टूबर में मुद्रास्फीति में आई नरमी भी नीति निर्माताओं के लिए राहत लेकर आई है। इसे अर्थव्यवस्था के ठोस फंडामेंटल और सरकार द्वारा किए गए प्रभावी प्राइस मैनेजमेंट उपायों का नतीजा माना जा रहा है।

विशेषज्ञों की राय-रेपो रेट में बदलाव की संभावना कम

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के अनुसार, मौद्रिक नीति हमेशा भविष्य की स्थिति को ध्यान में रखकर बनाई जाती है। उन्होंने कहा कि चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 27 के दौरान मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से ऊपर रह सकती है। ऐसे में रियल रेपो रेट 1-1.5 प्रतिशत के बीच बने रहने की उम्मीद है, जो बताता है कि मौजूदा पॉलिसी रेट उचित स्तर पर है। इसलिए, उनके अनुसार नीतिगत दर में बदलाव की गुंजाइश कम है। एसबीआई की हालिया रिपोर्ट भी इसी संकेत की ओर इशारा करती है। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ सप्ताह पहले तक 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की संभावनाएं थीं, लेकिन मजबूत जीडीपी ग्रोथ और बदली आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए दिसंबर में किसी बदलाव की संभावना कम दिखाई देती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यील्ड को नियंत्रित रखने के लिए आरबीआई को लिक्विडिटी के मोर्चे पर तटस्थ और कैलिब्रेटेड रुख अपनाना पड़ सकता है।

एचएसबीसी का अनुमानः 25 आधार अंकों की कटौती संभव

हालांकि, सभी विशेषज्ञ इस पर एकमत नहीं हैं। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का अनुमान है कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी नीचे रह सकती है। ऐसे में आरबीआई 5 दिसंबर को होने वाले एमपीसी निर्णय में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर सकता है। यदि ऐसा हुआ, तो मौजूदा 5.50 प्रतिशत रेपो रेट घटकर 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगी।

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