भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.9 से बढ़कर हुआ 7.4 प्रतिशतः फिच

खबर सार :-
.फिच रेटिंग्स का भारत की जीडीपी वृद्धि दर को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत करना इस बात का संकेत है कि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत आधार पर आगे बढ़ रही है। उपभोक्ता खर्च, कर सुधार और स्थिर निवेश माहौल ने ग्रोथ को गति दी है। लगातार दो तिमाहियों की बेहतर वृद्धि के आधार पर भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में मजबूत स्थिति बनाए रख सकता है।

भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.9 से बढ़कर हुआ 7.4 प्रतिशतः फिच
खबर विस्तार : -

GDP Growth of India: वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत की आर्थिक रफ्तार पर भरोसा जताते हुए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ा दिया है। एजेंसी के मुताबिक अब भारत की अर्थव्यवस्था 7.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ सकती है, जबकि इससे पहले यह अनुमान 6.9 प्रतिशत था। फिच का कहना है कि देश में उपभोक्ता खर्च में निरंतर सुधार, बेहतर व्यावसायिक माहौल और जीएसटी सुधारों से बनी मजबूत कर व्यवस्था ने अर्थव्यवस्था को गति दी है।

ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में बड़ा बदलाव

फिच ने गुरुवार को अपनी दिसंबर ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि भारत की विकास दर अनुमान से बेहतर प्रदर्शन कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के अंत तक कुछ तिमाहियों में ग्रोथ मामूली कम हो सकती है, लेकिन पूरे साल की औसत वृद्धि मजबूत रहने वाली है। एजेंसी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक मजबूती और उपभोग आधारित वृद्धि ने विकास के अवसर बढ़ाए हैं।

दूसरी तिमाही में 8.2 प्रतिशत की मजबूत ग्रोथ

फिच का यह संशोधित अनुमान भारत सरकार द्वारा जारी हालिया आर्थिक आंकड़ों के बाद आया है। सरकारी डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) में देश की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही, जो पिछले छह तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले अप्रैल–जून तिमाही में यह आंकड़ा 7.8 प्रतिशत था। फिच ने कहा कि लगातार दो तिमाहियों में मजबूत प्रदर्शन से यह संकेत मिलता है कि घरेलू मांग और निवेश माहौल में सुधार जारी है। साथ ही, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों से सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं।

उपभोग और कर सुधारों से अर्थव्यवस्था को सहारा

एजेंसी ने कहा कि देश में बढ़ती आय, शहरी मांग की मजबूती और वस्तु एवं सेवा कर (GST) में पारदर्शिता से सरकारी राजस्व में सुधार हुआ है। इससे सरकार को पूंजीगत खर्च बढ़ाने का अवसर मिला है, जो आगे विकास की गति को बनाए रखने में मदद करेगा।

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