तमिलनाडु के पांच और उत्पादों को मिला जीआई टैग

खबर सार :-
तमिलनाडु ने अपनी शिल्प और कृषि विरासत को एक बार फिर से वैश्विक पहचान दिलाई है। तमिलनाडु के पांच और उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानि जीआई टैग मिला है। इनमें वोरैयूर कॉटन साड़ी, कविंदापडी नट्टू शक्कराई (गुड़ पाउडर), नमक्कल मक्‍कल पथिरंगल (सोपस्टोन कुकवेयर), पारंपरिक ‘थूयामल्ली’ चावल और लकड़ी के खिलौने शामिल हैं। अब तमिलनाडु के कुल जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या 74 हो गई है।

तमिलनाडु के पांच और उत्पादों को मिला जीआई टैग
खबर विस्तार : -

चेन्नई : तमिलनाडु ने अपनी शिल्प और कृषि विरासत को एक बार फिर वैश्विक पहचान दिलाते हुए पांच और उत्पादों को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग दिलाया है। नए पंजीकृत उत्पादों में वोरैयूर कॉटन साड़ी, कविंदापडी नट्टू शक्कराई (गुड़ पाउडर), नमक्कल मक्‍कल पथिरंगल (सोपस्टोन कुकवेयर), पारंपरिक ‘थूयामल्ली’ चावल और लकड़ी के खिलौने शामिल हैं। इसके साथ तमिलनाडु के कुल जीआई टैग वाले उत्पादों की संख्या बढ़कर 74 हो गई है। इन आवेदनों को विभिन्न संघों की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) अधिवक्ता पी. संजय गांधी ने दायर किया था। 

वोरैयूर कॉटन साड़ी की खास पहचान है हल्कापन, मजबूती और सुंदर किनारी डिजाइन 

ऐतिहासिक बुनाई केंद्र मनामेडु (तिरुची) की प्रसिद्ध वोरैयूर कॉटन साड़ी कावेरी नदी के तट पर तैयार की जाती है। इसमें कोयम्बटूर और राजापालयम से आने वाले कॉटन धागे और रंग-रंजक का उपयोग होता है। हल्कापन, मजबूती और सुंदर किनारी डिजाइन इसकी खास पहचान है।

इरोड जिले की कविंदापडी नट्टू शक्कराई को उसकी विशिष्टता के लिए पहचान मिली है। यहां चीनी गन्ना उत्पादन का बड़ा इलाका है, जो लोअर भवानी प्रोजेक्ट नहर से सिंचित होता है। गन्ने के रस को धीरे-धीरे पकाकर बिना किसी रसायन के तैयार किया गया, यह गुड़ पाउडर घरों और पारंपरिक मिठाइयों में व्यापक रूप से उपयोग होता है।

थूयामल्ली चावल, सोपस्टोन बर्तन कालचट्टी को मिला जीआई टैग 

“शुद्ध चमेली” के अर्थ वाला 135–140 दिनों में तैयार होने वाला थूयामल्ली चावल अपनी सुगंध, लंबे दाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। इस जीआई आवेदन को तमिलनाडु स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड ने नाबार्ड मदुरै एग्रो बिजनेस इनक्यूबेशन फोरम के सहयोग से दाखिल किया था।

नमक्कल जिले के पारंपरिक सोपस्टोन बर्तन कालचट्टी को लंबी प्रक्रिया के बाद जीआई टैग मिला है। 2019 में पहली आवेदन वापस लेने के बाद 2022 में नमक्कल स्टोन प्रोडक्ट्स मैन्युफैक्चरर्स और एमएसएमई टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट सेंटर आईपीएफसी द्वारा नया आवेदन दायर किया गया था, जो अब सफल हुआ है।

लकड़ी के खिलौनों का शिल्प अम्बासमुद्रम चोप्पु सामान को भी मिला  सम्मान 

तिरुनेलवेली जिला में 200 से अधिक वर्षों पुराना लकड़ी के खिलौनों का शिल्प अम्बासमुद्रम चोप्पु सामान भी जीआई सम्मान प्राप्त करने वालों में शामिल है। मंजल कदंबा, सागौन और रोजवुड जैसी लकड़ी से बने मिनिएचर रसोई सेट, टेबल, कुर्सियां और अन्य खिलौने बच्चों की कल्पनाशीलता को पोषित करने तथा सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में महत्वपूर्ण हैं। इन नए जीआई प्रमाणनों के साथ तमिलनाडु ने फिर यह साबित किया है कि वह देश की कला, हस्तशिल्प और पारंपरिक कृषि उत्पादों की सबसे समृद्ध पहचान में से एक है।
 

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