लखनऊः भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने नियमों का पालन नहीं करने वाले बैंकों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। जो बैंक कई बार नोटिस देने के बावजूद अपनी कमियों को सुधारने में रुचि नहीं ले रहे हैं, केवल पत्राचार के माध्यम से अपनी बैंक शाखा को बचाने की जुगत में लगे हैं, अब उनकी खैर नहीं है। ताजा मामला लखनऊ से हैं, जहां नियमों का पालन नहीं करने पर एचसीबीएल को-ऑपरेटिब बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसकी वजह से बैंक से जुड़े ग्राहकों की समस्याएं बढ़ गई हैं।
केंद्रीय बैंक ने एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों से कहा कि बैंक के पास पर्याप्त कैपिटल और कमाई की ठोस संभावनाएं नहीं हैं। बैंक कई जरूरी नियमों और शर्तों का पालन कर पाने में असमर्थ है, जिसकी वजह से उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। आरबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एचसीबीएल को-ऑपरेटिव बैंक ने 19 मई की शाम से कामकाज बंद कर दिया है। आरबीआई ने उत्तर प्रदेश के को-ऑपरेटिव कमिश्नर और रजिस्ट्रार से बैंक को बंद करने और बैंक के लिए एक लिक्विडेटर नियुक्त करने का आदेश जारी करने का भी अनुरोध किया है। इसमें लिक्विडेशन यानी बंद होने के बाद बैंक की संपत्ति को अधिग्रहीत कर लिया जाएगा। बैंक में हर डिपॉजिटर्स डिपोजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यानी डीआईसीजीसी से 5 लाख रुपये तक की अपनी जमा राशि पर डिपॉजिट इंश्योरेंस क्लेम अमाउंट हासिल करने का हकदार होगा।
केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बैंक के पास मौजूद आंकड़ों के अनुसार 98.69 फीसदी डिपॉजिटर्स डीआईसीजीसी से अपनी जमा राशि की पूरी राशि हासिल करने के हकदार हैं। इसमें डीआईसीजीसी ने 31 जनवरी, 2025 तक कुल इंश्योर्ड डिपॉजिट में से 21.24 करोड़ रुपये का भुगतान पूर्व में ही कर दिया है। इसके अलावा शेष का भुगतान किया जाना है। आरबीआई ने कहा कि को-ऑपरेटिव बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 के तहत कुछ धाराओं की जरूरतों का पालन करने में फेल रहा है और बैंक का जारी रहना इसके डिपॉजिटर्स के हित में बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है। लाइसेंस को रद्द करने के बाद एचसीबीएल को-ऑपरेटिव को तत्काल प्रभाव से डिपॉजिट और विड्रॉल समेत बैंकिंग से जुड़े कामकाज से रोक दिया गया है।
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