लाल निशान में कारोबार कर रहे भारतीय, बैंकिंग शेयरों में बिकवाली का जोर

खबर सार :-
वैश्विक बाजार में पिछले कई दिनों से उथल-पुथल मची हुई है। दुनिया भर के कारोबारी टैरिफ को लेकर चिंतित है। इसलिए किस देश के साथ कारोबार करना है और किस कंपनी में निवेश करना या नहीं करना है, यह भी तय नहीं कर पा रहे हैं। नतीजतन दुनिया में कई देशों के शेयर बाजार बुरे दौर से गुजर रहे हैं। भारत की स्थिति भी खराब है।

लाल निशान में कारोबार कर रहे भारतीय, बैंकिंग शेयरों में बिकवाली का जोर
खबर विस्तार : -

मुंबई: वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति के कारण कारोबारियों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अब हर कोई वेट एंड वाच की स्थिति में है। इस कारण भारतीय शेयर बाजार भी कई दिनों से जोरदार गिरावट का सामना कर रहा है। यहां शुक्रवार को सेंसेक्स 242 अंक की गिरावट के साथ 82,014 और निफ्टी 64 अंक की कमजोरी के साथ 25,044 पर कारोबार कर रहा था। घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों के माध्यम से किया जा रहा है, लेकिन कारोबार की गति सुस्त है। आज के कारोबार में निफ्टी बैंक 323 अंक की गिरावट के साथ 56,490 पर था।

मिडकैप और स्मॉलकैप में सपाट कारोबार

घरेलू शेयर बाजार में लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप में सपाट कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 68 अंक की मामूली गिरावट के साथ 59,450 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 21 अंक की कमजोरी के साथ 19,095 पर था। निफ्टी में ऑटो, पीएसयू बैंक, मेटल, रियल्टी और कमोडिटी हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। जबकि, आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, टाटा स्टील, पावर ग्रिड, एलएंडटी, अल्ट्राटेक सीमेंट, इंफोसिस, टाटा मोटर्स, बीईएल, एनटीपीसी, टीसीएस, ट्रेंट और मारुति सुजुकी टॉप गेनर्स थे। एक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, कोटक महिंद्रा बैंक, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, इटरनल (जोमैटो), एचयूएल, सन फार्मा, बजाज फाइनेंस, आईसीआईसीआई बैंक, टाइटन और बजाज फिनसर्व टॉप लूजर्स थे।

वैश्विक बाजार में भारत का कमजोर प्रदर्शन

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि जुलाई में अब तक भारत ज्यादातर बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहा है, निफ्टी में 1.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। इस साल अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियों में एक खास पैटर्न देखने को मिला है। इस साल की पहली तिमाही में एफआईआई जोरदार बिकवाली कर रहे थे। इसके बाद दूसरी तिमाही में निवेशकों ने खूब खरीदारी की। अब सातवें महीने में जो रुझान सामने आए हैं, उसके अनुसार बिकवाली के संकेत मिल रहे हैं। जब तक कि कोई सकारात्मक खबर बाजार में गिरावट के रुख को पलट न दे।


विदेशी बाजारों का हाल

वैश्विक बाजार में अमेरिकी और एशियाई बाजारों की स्थिति भी खराब है। प्रमुख एशियाई बाजार में बढ़त बनी हुई है। शंघाई, हांगकांग, बैंकॉक और जकार्ता के शेयर बाजार में सबसे ज्यादा बढ़त देखी गई। जबकि, टोक्यो और सियोल में गिरावट दर्ज की गई है। यहां निवेशकों की सकारात्मक धारणा के कारण पिछले कारोबारी सत्र में अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए थे। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 17 जुलाई को लगातार दूसरे सत्र में शुद्ध बिकवाली करते नजर आये। उन्होंने 3,694 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं। वहीं दूसरी तरफ, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने लगातार नौवें सत्र में अपनी खरीदारी जारी रखी और कुल मिलाकर 2,820 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे हैं।

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