नई दिल्लीः केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की उपस्थिति में 'ऊर्जा वार्ता 2025' के अवसर पर तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड यानी ओएनजीसी और बीपी इंडिया के बीच गुरुवार को एक रणनीतिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इससे देश में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद मिलेगी, साथ ही अपस्ट्रीम सेक्टर में गहन अन्वेषण को बढ़ावा मिलेगा। इस एमओयू को भारत की ऊर्जा यात्रा में वैश्विक सहयोग को गहरा करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है।
ओएनजीसी ने समझौते के बाद एक्स पर जारी एक बयान में लिखा कि इस एमओयू का उद्देश्य भारत के केटेगरी II और III के अपतटीय तलछटी बेसिनों अंडमान, महानदी, सौराष्ट्र और बंगाल में स्ट्रेटीग्राफिक कुओं की खोदाई में सहयोग करना है। यह साझेदारी भूवैज्ञानिक तकनीक से जुड़ी समझ को बढ़ाएगी और अप्रयुक्त हाइड्रोकार्बन क्षमता को उजागर करेगी, जिससे भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। कंपनी ने यह भी कहा कि वैश्विक विशेषज्ञता राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं से मिलकर आत्मनिर्भर भारत के मार्ग को सशक्त बनाती है। वहीं दूसरी तरफ, बीपी इंडिया ने कहा कि यह सहयोग ऊर्जा सुरक्षा और अप्रयुक्त भंडारों की खोज की दिशा में एक और कदम है। बीपी इंडिया के कंट्री हेड कार्तिकेय दुबे ने भी समझौते पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और रणनीतिक महत्व की इस परियोजना में ओएनजीसी के साथ अपने मौजूदा गठबंधन को मजबूत करने के लिए हम उत्साहित हैं। हमारा मानना है कि नए स्ट्रेटीग्राफिक कुओं की ड्रिलिंग बहुत मूल्यवान होगी और इससे नई समझ और क्षमता का विकास हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ओएनजीसी और बीपी इंडिया के बीच हुए समझौते को हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारत हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन के नए दौर की शुरुआत होने जा रही है। इससे गुयाना के आकार के कई बड़े तेल क्षेत्र, विशेष रूप से अंडमान सागर में खोजे जाएंगे। हम एक्सप्लोरर्स के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता, वित्तीय प्रोत्साहन, स्थिर नियामक ढाँचे, निवेशों को जोखिम-मुक्त बनाने और व्यापार करने में आसानी जैसे क्षेत्रों पर लगातार काम कर रहे हैं। इन सबका मकसद देश को तेल और गैस अन्वेषण एवं उत्पादन के क्षेत्र में अगला वैश्विक अग्रणी राष्ट्र बनाना है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि 'ऊर्जा वार्ता 2025' का उद्देश्य भारत के ऊर्जा परिदृश्य के भविष्य को आकार देना और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता और नवाचार के प्रति देश की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करना है।
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