नई दिल्लीः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। सड़कों पर पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों की अपेक्षा अब इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश की जनता जागरूक होने के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल कर प्रदूषण नियंत्रण में सरकार का भरपूर सहयोग दे रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है।
सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण और बिक्री पर लगातार जोर दे रही है। सरकारी प्रोत्साहन और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने की वजह से स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण को लगातार बढ़ावा मिल रहा है। सरकार की ओर से किए गए कई नीतिगत उपायों, वाहनों पर दी जाने वाली सब्सिडी और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार का असर बाजार में भी दिखने लगा है। इससे निश्चित तौर पर सरकार को वर्ष 2030 तक यात्री वाहन के सेगमेंट में ईवी की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत तक लाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
काउंटरपॉइंट के लेटेस्ट ‘इंडिया पैसेंजर व्हीकल मॉडल सेल्स ट्रैकर’ की रिपोर्ट के अनुसार भारत के यात्री वाहन (पीवी) की बिक्री 2024 में सालाना आधार पर 4.6 प्रतिशत बढ़कर 4.3 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। यात्री वाहनों में बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों यानी बीईवी की 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है। जो कि सालाना आधार पर 16 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी मानी जा रही है। बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि का श्रेय कई तरह से मॉडल्स बाजार में लॉन्च करने वाली कंपनियों को भी दिया जा रहा है। इस मुहिम को बढ़ावा देने में देश की नामचीन कंपनियों ने बीईवी को बाजार में उतारकर अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है। अब तक टाटा कर्व-ईवी, एमजी विंडसर, बीवाईडी सील, बीवाईडी ईमैक्स 7 और टाटा पंच-ईवी रिफ्रेश समेत कई मॉडल शामिल हो चुके हैं।
भारत सरकार ने ईवी अपनाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इस लक्ष्य के अनुसार 2030 तक यात्री वाहन सेगमेंट में 30 प्रतिशत, संयुक्त दोपहिया और तिपहिया सेगमेंट में 80 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट में 70 प्रतिशत ईवी पेनिट्रेशन हासिल किया जाना है। ऑटोमोटिव बाजार विश्लेषकों के अनुसार ऑटोमोबाइल और उनके कंपोनेंट्स के लिए अमेरिकी टैरिफ बढ़ोत्तरी, भारत के बढ़ते कंपोनेंट निर्यात के लिए एक खतरा पैदा कर रही है। हालांकि, इसकी वजह से दूसरे बाजारों में कंपोनेंट निर्यात बढ़ाने के बेहतरीन अवसर भी पैदा हो रहे हैं, जो एक बेहतर संकेत है। भारत की सबसे बड़ी पीवी कंपनी मारुति सुजुकी और अंतर्राष्ट्रीय बीईवी स्पेशलिस्ट टेस्ला और विनफास्ट के प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले किफायती और प्रीमियम मॉडल के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश करने जा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2025 के अंत तक पीवी बाजार के 5 प्रतिशत हिस्से पर बीईवी का कब्जा हो जाएगा। यहीं नहीं, दोपहिया सेगमेंट में ईवी अपनाने की प्रक्रिया भी तेजी से आगे बढ़ रही है। 2024 में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 6.2 प्रतिशत रही, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 36 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। प्रोत्साहनों और कर छूटों के कारण इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल अंतिम मील डिलीवरी और माइक्रो-मोबिलिटी एप्लीकेशन के लिए तेजी से किया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स कंपनियां अधिक सस्टेनेबल और हरित भविष्य को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के इस्तेमाल का विस्तार कर रही हैं। इसके अलावा, शहरी यात्री अपनी दैनिक यात्रा जरूरतों के लिए पारंपरिक पावरट्रेन की तुलना में ईवी को प्राथमिकता दे रहे हैं। जबकि वाणिज्यिक वाहन (सीवी) सेगमेंट में ईवी की पहुंच अपेक्षाकृत कम है, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर कैटेगरी बदलाव का नेतृत्व कर रही है। 2024 में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर की हिस्सेदारी थ्री-व्हीलर कैटेगरी में 55 प्रतिशत थी, जिसका अर्थ है कि खरीदा गया हर दूसरा थ्री-व्हीलर ईवी था।
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