Nithari Case: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला रखा बरकरार, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली बरी

खबर सार :-
उत्तर प्रदेश के नोएडा में हुए निठारी कांड के मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पढ़ेर और सुरेंद्र कोली से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखने का आदेश जारी किया है, जिसमें पर्याप्त सबूतों के अभाव में दोनों आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

Nithari Case: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला रखा बरकरार, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली बरी
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के नोएडा में वर्ष 2006 में हुए निठारी कांड को याद करके आज भी लोगों की रूह कांप जाती है। इस मामले में हाईकोर्ट ने 2023 में मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पढ़ेर और नौकर सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया था। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की गई अपील पर भी फैसला आ चुका है। निठारी कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें दोनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है और इस फैसले ने न केवल न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पूरे देश को शोक और आश्चर्य में भी डाल दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पूरी तरह से सही ठहराया। हाईकोर्ट ने मोनिंदर पंढेर को दो मामलों में और सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी किया था, क्योंकि इन मामलों में अदालत को आरोपियों के खिलाफ ठोस और पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जो हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रही थीं, और कहा कि यह फैसला कानूनी रूप से सही है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निठारी कांड से जुड़े कई लोगों के लिए एक तगड़ा झटका साबित हुआ है। विशेष रूप से, मोनिंदर सिंह पंढेर की पूरी तरह से बरी होने से यह मामला नया मोड़ लेता है, क्योंकि उसे पहले हत्या और बलात्कार के आरोप में दोषी ठहराया गया था। वहीं, सुरेंद्र कोली एक लंबित मामले में जेल में है, जिसमें आरोपों के अनुसार उसने कई नाबालिगों और महिलाओं का अपहरण किया और उनकी हत्या की।

निठारी कांड की जड़ें: 2006  में सामने आया था मामला

यह मामला 2006 में सामने आया था, जब 7 मई 2006 को एक युवती को मोनिंदर पंढेर ने नौकरी दिलाने का वादा किया था। युवती अपने घर से बाहर जाने के बाद लापता हो गई। इस मामले को लेकर युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद, 29 दिसंबर 2006 को निठारी में पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। इस खुलासे के बाद, मोनिंदर पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला तब और जटिल हो गया, जब यह खुलासा हुआ कि पंढेर और कोली ने एक के बाद एक कई नाबालिगों और महिलाओं को अपना शिकार बनाया था। इन मामलों को बाद में सीबीआई को सौंपा गया, जिसने जाँच में कई राज़ खोले।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया कि कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले, और यही वजह रही कि उन्हें बरी किया गया। 2023 में, मोनिंदर पंढेर को दो मामलों में और सुरेंद्र कोली को 12 मामलों में बरी कर दिया गया था। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी सही ठहराया गया, जिसने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ थीं। इस फैसले ने न्याय की प्रक्रिया पर कई सवाल उठाए हैं। हालांकि, कानूनी दृष्टि से यह निर्णय सही था, लेकिन बहुत से लोग इसे अन्याय मान रहे हैं। इस मामले में दी गई राहत से न केवल आरोपियों को संदेह का लाभ मिला, बल्कि पीड़ित परिवारों के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हुआ है। आखिरकार, निठारी कांड की गुत्थी अब भी अधूरी है। जहां एक ओर कुछ आरोपी बरी हो गए, वहीं सुरेंद्र कोली जैसे आरोपी अभी भी अदालत के फैसले का सामना कर रहे हैं। पूरे मामले ने न्यायिक प्रक्रिया के प्रति विश्वास और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।

अन्य प्रमुख खबरें