'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट्स पर बढ़ा भरोसा, उपभोक्ताओं में दिखा देसी ब्रांड्स का क्रेज

खबर सार :-
देश को आत्मनिर्भर बनाने में जनता भी अपने स्तर से योगदान दे रही है। हाल ही में जारी फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, देश की जनता का विश्वास भारतीय ब्रांड्स में तेजी से बढ़ रहा है। इस कारण देशी प्रोडक्ट्स की मांग में तेजी से इजाफा हो रहा है। जो एक बेहतर संकेत है।

'मेड इन इंडिया' प्रोडक्ट्स पर बढ़ा भरोसा, उपभोक्ताओं में दिखा देसी ब्रांड्स का क्रेज
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः भारत में उपभोक्ता व्यवहार तेजी से बदल रहा है और इसका सीधा असर देश के खुदरा बाजार पर देखने को मिल रहा है। डेलॉयट और फिक्की की हालिया रिपोर्ट 'स्पॉटिंग इंडिया’ज प्राइम इनोवेशन मोमेंट' के अनुसार, भारतीय ग्राहक अब 'मेड इन इंडिया' उत्पादों की ओर अधिक झुकाव दिखा रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य एवं पेय पदार्थों की कैटेगरी में 68 प्रतिशत, होम डेकोर में 55 प्रतिशत और पर्सनल केयर में 53 प्रतिशत उपभोक्ता अब स्थानीय ब्रांड्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह रुझान न केवल घरेलू विनिर्माण को समर्थन दे रहा है, बल्कि भारत के खुदरा क्षेत्र को भी नई दिशा दे रहा है।

खुदरा क्षेत्र का तेजी से बढ़ता आकार

रिपोर्ट बताती है कि भारत का रिटेल सेक्टर, जो 2024 में 1.06 ट्रिलियन डॉलर का था, वह 2030 तक 1.93 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना रखता है। यह 10 प्रतिशत CAGR के साथ एक मजबूत विकास दर को दर्शाता है।

जेनरेशन Z की भूमिका

रिपोर्ट में खास तौर पर यह उल्लेख है कि जेन जेड की 43 प्रतिशत खपत हिस्सेदारी और 250 अरब डॉलर की खर्च क्षमता फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और पर्सनल केयर जैसे क्षेत्रों में प्रीमियम उत्पादों की मांग को बढ़ा रही है।

डिजिटल और ई-कॉमर्स की ताकत

रिपोर्ट में कहा गया है कि अब 73 प्रतिशत उपभोक्ता निर्णय ऑनलाइन प्लेटफार्म से प्रभावित होते हैं। भारत का D2C (Direct-to-Consumer) बाजार 2024 में 80 अरब डॉलर को पार कर चुका है और 2025 में 100 अरब डॉलर को छूने की ओर अग्रसर है।

टियर-II और टियर-III शहरों का उदय

भारत के टियर II और III शहर अब 60 प्रतिशत से अधिक ई-कॉमर्स लेनदेन का हिस्सा हैं। ये शहर ओमनी-चैनल विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा, भारत का क्विक कॉमर्स मार्केट 70-80 प्रतिशत सालाना ग्रोथ के साथ 80 से अधिक शहरों में फैल चुका है।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

रिपोर्ट यह भी इंगित करती है कि वैश्विक मांग में अस्थिरता, सप्लाई चेन दबाव और स्किल डेवलपमेंट जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। बावजूद इसके, मजबूत घरेलू मांग और उपभोक्ताओं के बदलते रुझान भारत के खुदरा क्षेत्र को स्थायी और तेज़ विकास की दिशा में ले जा रहे हैं।

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