बेंगलुरुः केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया और एमएसएमई को बढ़ावा देने की पहल का व्यापक असर दिख रहा है। अब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में देश तेजी से तरक्की कर रहा है। देश के टॉप सात शहरों में डेटा सेंटर बाजार की क्षमता अगले 15 वर्षों में यानी 2030 तक 4,500 मेगावाट को पार कर जाने की उम्मीद है। इसके सुदृढ़ होने से अगले पांच से छह वर्षों में 20 से 25 बिलियन डॉलर तक का निवेश आकर्षित होने का अनुमान है।
अंतर्राष्ट्रीय रियल एस्टेट सलाहकार कंपनी कोलियर्स, जो कि जो विभिन्न प्रकार की रियल एस्टेट रिपोर्ट और विश्लेषण प्रदान करती है। उसकी रिपोर्ट आमतौर पर रियल एस्टेट बाजार, निवेश, और विकास जैसे विषयों पर केंद्रित होती हैं। कोलियर्स ने बुधवार को भारत के संबंध में बुधवार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें बताया गया है कि डेटा सेंटर की क्षमता बढ़ने के कारण अगले 5-6 वर्षों में रियल एस्टेट में निवेश भी बढ़ेगा और लगभग 55 मिलियन वर्ग फीट का क्षेत्र विकसित होने की संभावना है। कोलियर्स की ओर से प्रस्तुत आंकड़ों पर गौर करें, तो पिछले 6-7 वर्षों में डीसी क्षमता में 4 गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। यह अप्रैल की समाप्ति तक 1,263 मेगावाट तक पहुंच गई है। यह बढ़ोत्तरी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई और इंटरनेट ऑफ थिंग्स यानी आईओटी के बढ़ते इस्तेमाल, डिजिटल और क्लाउड सर्विस की मांग में वृद्धि और अनुकूल सरकारी नीतियों के माध्यम से समर्थित इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के कारण है। शहरी स्तर पर होने वाली बढ़ोत्तरी को देखें, तो मुंबई में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ डीसी क्षमता का अधिकांश हिस्सा है। इसके बाद चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर में क्रमशः 23 प्रतिशत और 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी दर्ज की गई है।
कोलियर्स की रिपोर्ट के मुताबिक डेटा सेंटर की क्षमता में तीव्र विस्तार के परिणामस्वरूप पिछले छह से सात वर्षों में देश के टॉप सात डीसी बाजारों में रियल एस्टेट फुटप्रिंट में 3 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो इसे 16 मिलियन वर्ग फीट के स्तर तक ले गया है। कोलियर्स इंडिया के मुख्य परिचालन अधिकारी जतिन शाह ने कहा कि भारत तेजी से डिजिटलीकरण, डेटा स्थानीयकरण मानदंडों और मजबूत सरकारी समर्थन की मदद से ग्लोबल डीसी हॉटस्पॉट बन रहा है। भारत के रणनीतिक लाभ जैसे कि जमीन की उपलब्धता, बिजली की आपूर्ति और कुशल प्रतिभा की उपलब्धता शामिल है। इसके अलावा एपीएसी क्षेत्र में डेटा केंद्रों के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति को भी मजबूत करती है। बाजार बड़े पैमाने पर कोलोकेशन सुविधाओं और हाइपरस्केलर्स से आगे बढ़कर एज डेटा सेंटरों तक फैल रहा है, जो लोअर लेटेंसी, रियल-टाइम एनालिसिस और बेहतर ऐप परफॉर्मेंस की बढ़ती जरूरतों की वजह से तेजी से डिमांड में है।
भौगोलिक आधार पर होने वाले विस्तार को देखें, तो 2020 से नई सप्लाई का 44 प्रतिशत देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में केंद्रित था। इसके बाद चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर का स्थान रहा है, जिन्होंने 2020 से क्षमता वृद्धि में 42 प्रतिशत योगदान दिया। अगले 5-6 वर्षों में भी, अधिकांश प्राथमिक डीसी बाजारों में नई सप्लाई का महत्वपूर्ण प्रवाह देखने को मिलेगा। मुंबई, चेन्नई और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों के अलावा, हैदराबाद में विशेष रूप से महत्वपूर्ण गति देखने को मिलेगी और यह एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा।
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