नई दिल्लीः भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अपार संभावनाएं दिख रही हैं। इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है। भारत में ह्युमन रिसोर्स इंडस्ट्री के लीडर्स एआई को लेकर काफी सकारात्मक सोच रखते हैं। उन्हें उम्मीद है कि 2027 तक एजेंटिक एआई अपनाने में 383 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। ऐसा अमेरिकी क्लाउड-बेस्ड सॉफ्टवेयर कंपनी सेल्सफोर्स की रिपोर्ट में कहा गया है। कंपनी ने 200 ग्लोबल अधिकारियों के सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें यह बताया गया है कि डिजिटल लेबर केवल एक ट्रेंड नहीं है, बल्कि यह एक व्यावसायिक रणनीति में क्रांति की शुरुआत है।
दरअसल, एजेंटिक एआई को ऐसी तकनीक के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो एआई एजेंटों को इस प्रकार सक्षम बनाती है कि वे मानवीय निगरानी के बिना स्वायत्त रूप से कार्य कर सकें। दुनिया में डिजिटल लेबर केवल एक ट्रेंड नहीं है, बल्कि यह एक व्यावसायिक रणनीति में क्रांति की शुरुआत के रूप में प्रचलित हो रहा है। ऐसी उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि अगले दो वर्षों में एआई एजेंटों को अपनाने में 383 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिससे उत्पादकता में 41.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जा सकती है। सेल्सफोर्स की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर यानी सीएचआरओ अपने कर्मचारियों के लगभग एक चौथाई (24.7 प्रतिशत) को फिर से स्थापित करने की उम्मीद करते हैं, क्योंकि उनके संगठन डिजिटल लेबर को अपनाते हैं। 88 प्रतिशत एचआर प्रमुखों ने एआई एजेंटों द्वारा आकार दिए गए बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी होने के लिए अपने कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। इनमें से करीब 81 प्रतिशत लीडर्स इस बात से सहमत हैं कि रिलेशनशिप बिल्डिंग और सहयोग जैसे सॉफ्ट स्किल्स का महत्व अधिक बढ़ गया है, क्योंकि अब मनुष्य एजेंटों के साथ काम करते हैं।
सेल्सफोर्स के प्रेसिडेंट और चीफ पीपल ऑफिसर नथाली स्कार्डिनो ने बताया कि हर इंडस्ट्री को बदलते दौर में तकनीकी के हिसाब से नौकरियों को फिर से डिजाइन करना होगा। हर कर्मचारी को डिजिटल श्रम क्रांति में सफल होने के लिए नए ह्यूमन, एजेंट और व्यावसायिक कौशल सीखना जरूरी हो जाएगा। शोध से पता चलता है कि भारत में एचआर लीडर्स का मानना है कि डिजिटल लेबर भविष्य है और इसका समाकलन उनकी भूमिका के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें लगभग 85 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पांच वर्षों के भीतर, अधिकांश वर्कफोर्स में ह्यूमन और एआई एजेंट/डिजिटल श्रमिक एक साथ काम करेंगे। जबकि, केवल 12 प्रतिशत भारतीय सीएचआरओ का कहना है कि उनके संगठन ने एजेंटिक एआई को पूरी तरह से लागू कर दिया है। देश में 60 प्रतिशत से अधिक एचआर प्रमुखों का कहना है कि उनके कर्मचारी इस बात से अनजान हैं कि एआई एजेंट उनके काम को कैसे प्रभावित करेंगे।
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