आईएंडसी सेंटरः एएफएमएस सिस्टम लागू नहीं, एडिट हो रहा वाहन फिटनेस का डाटा

खबर सार :-
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (मोर्थ) ने वाहनों की फिटनेस व्यवस्था को बेहतर करने के लिए वर्ष 2021 में ही ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) को मंजूरी दी थी। एटीएस के तहत वाहनों के फिटनेस डाटा को ऑटोमेटेड फिटनेस मैनेजमेंट सिस्टम (एएफएमएस) से जोड़ने की व्यवस्था बनायी गई है। एएफएमएस सिस्टम के जरिए वाहनों का वास्तविक डाटा फिटनेस के समय ही मोर्थ तक पहुंच जाएगा। टीपीनगर आईएंडसी सेंटर में एएफएमएस की व्यवस्था लागू ही नहीं की गई है।

खबर विस्तार : -

लखनऊ: राजधानी के किसान पथ पर स्लीपर बस में लगी आग की घटना ने वाहनों की फिटनेस में बड़े पैमाने पर हो रही लापरवाही को उजागर कर दिया है। अब ट्रांसपोर्टनगर स्थित इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर (आईएंडसी) में मशीनों से की जा रही फिटनेस पर भी सवाल उठ रहे हैं। सवाल उठने के पीछे वजह यह है कि वाहनों की फिटनेस के दौरान डाटा एडिटेबल यानि डाटा में बदलाव कर देने की बड़ी आशंका जताई जा रही है।

दरअसल, मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे (मोर्थ) ने वाहनों की फिटनेस व्यवस्था को बेहतर करने के लिए वर्ष 2021 में ही ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) को मंजूरी दी थी। एटीएस के तहत वाहनों के फिटनेस डाटा को ऑटोमेटेड फिटनेस मैनेजमेंट सिस्टम (एएफएमएस) से जोड़ने की व्यवस्था बनायी गई है।

एएफएमएस सिस्टम के जरिए वाहनों का वास्तविक डाटा फिटनेस के समय ही मोर्थ तक पहुंच जाएगा। जानकारों की मानें तो टीपीनगर आईएंडसी सेंटर में एएफएमएस की व्यवस्था लागू ही नहीं की गई है। यानि फिटनेस के समय वाहन का जो वास्तविक डाटा तत्काल एएफएमएस सिस्टम के जरिए मोर्थ तक पहुंचना चाहिए, वाहन की फिटनेस का वह डाटा आईएंडसी सेंटर में शाम अथवा दूसरे दिन जारी किया जा रहा है।

इस दौरान ही डाटा से छेड़छाड़ कर उसे एडिट करने की आशंका जताई जा रही है। यानि वाहन फिटनेस का डाटा मेनुपुलेट किया जा रहा है अथवा उसमें बदलाव कर दिया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो आईएंडसी सेंटर का संचालन कर रही निजी कम्पनी की कमाई का यही मुख्य जरिया है। ऐसे वाहन जिनको मशीन पर फिटनेस के समय पास करने के लिए सुविधा शुल्क पहले पहुंच जाता है अथवा सिंडीकेट के जरिए इसकी सूचना पहुंचा दी जाती है, वह गाड़ी पास हो जाती है। 

वहीं, जो वाहन दलालों के सिंडीकेट से अलग सीधे मशीन पर फिटनेस के लिए जाते हैं, उनको हर हाल में फेल कर दिया जाता है। परिवहन विभाग चाहे तो इसकी जांच कराकर सत्यता जांच सकता है। हालांकि विभागीय जांच में सत्यता की परख होने की संभावना कम ही है। 

मशीन पर नहीं जाते कई बड़े वाहन 

आईएंडसी सेंटर में मशीनों की तीन लेन बनी हुई है। इसमें ऑटो, टेम्पों, छोटा हाथी, कैब, डीसीएम समेत अन्य वाहनों की फिटनेस होती है। वहीं, बड़े कॉमर्शियल वाहन और प्राइवेट 8 सीटर गाड़ियां मशीन पर नहीं जाती हैं। जो बड़े वाहन फिटनेस के लिए मशीन पर नहीं जाते हैं उनमें जेसीबी, क्रेन, मिक्सचर वाहन, हाइड्रा, टोचिंग की हुई गाड़ियां, 18, 20, 22 चक्का ट्रक, ट्रेलर व अन्य बड़े वाहन शामिल हैं।

अब सवाल यह है कि इन वाहनों की फिटनेस के लिए आईएंडसी सेंटर में लेन आखिर क्यों नहीं बनाई गई अथवा इनके मशीन से फिटनेस की व्यवस्था परिवहन विभाग में है ही नहीं। जबकि इन बड़े वाहनों की फिटनेस के बदले अच्छा-खासा सुविधा शुल्क वसूल किया जाता है। 

अन्य प्रमुख खबरें