Action Against Stray Animals: आवारा कुत्तों के बाद अब कबूतरों पर कार्रवाई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाना डालने पर बीएमसी की रोक को दी मंजूरी

खबर सार :-
देश में आजकल कुत्तों और पक्षियों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इसमें पक्ष और विपक्ष अपने-अपने तर्क दे रहा है, लेकिन कोर्ट का आदेश बिल्कुल स्पष्ट है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी के कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को बरकरार रखा। अब एक विशेष समिति सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर की जांच कर अंतिम फैसला देगी।

Action Against Stray Animals: आवारा कुत्तों के बाद अब कबूतरों पर कार्रवाई, बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाना डालने पर बीएमसी की रोक को दी मंजूरी
खबर विस्तार : -

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा कबूतरों को दाना डालने पर लगाए गए प्रतिबंध को सही ठहराया है। कोर्ट ने यह फैसला ऐसे समय में सुनाया है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में भेजने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने साफ किया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और मनमाने ढंग से निर्णय नहीं लिए जा सकते।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी को लगाई फटकार

बीएमसी द्वारा कबूतरों को दाना डालने पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि दाना डालने की अनुमति देने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन अनिवार्य है। कोर्ट ने बीएमसी को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले प्रतिबंध लगाने का कारण सार्वजनिक हित था, तो अब किसी एक व्यक्ति के कहने पर वह क्यों बदला जा रहा है? बीएमसी ने अदालत को जानकारी दी कि सुबह 6 से 8 बजे तक कुछ शर्तों के साथ दाना डालने की अनुमति दी जा सकती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि बीएमसी सीधे निर्णय नहीं ले सकती। सार्वजनिक नोटिस जारी कर सभी नागरिकों और संबंधित पक्षों से सुझाव लेना जरूरी है।

विशेष समिति के गठन का आदेश

हाईकोर्ट ने एक विशेष समिति गठित करने का आदेश भी दिया है, जो कबूतरों से जुड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों का अध्ययन करेगी। समिति की सिफारिशों के आधार पर आगे का निर्णय लिया जाएगा। बीएमसी के वकील रामचंद्र आप्टे ने कोर्ट को बताया कि समिति जल्द ही रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। याचिकाकर्ता के वकील हरीश जे. पांड्या ने कहा कि कुछ लोगों को अस्थायी रूप से दाना डालने की अनुमति देने के लिए आवेदन की छूट दी गई थी। दो याचिकाएं दी गईं, लेकिन बीएमसी को अभी केवल एक आवेदन ही प्राप्त हुआ है।

संवैधानिक अधिकारों और स्वास्थ्य के मध्य संतुलन जरूरी

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और स्वास्थ्य दोनों का संतुलन आवश्यक है। कबूतरों की संख्या में वृद्धि से बीमारियों के फैलने की संभावना है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। यह फैसला मुंबई जैसे महानगर में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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