रिश्वतखोरी के आरोप के बाद स्टाम्प व निबंधन विभाग में सभी तबादले निरस्त

खबर सार :-
सरकारी विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग में लेनदेन का खेल आम है। रिश्वत के बल पर मलाईदार पदों पर पोस्टिंग आसानी से मिल जाती है। विभागों में तबादला सत्र किसी उत्सव से कम नहीं है। तबादला सत्र में रिश्वखोरी व अनियमितता अब परम्परा बन गई। इसका पालन करने वाला ही बढ़िया पद हासिल कर पाता है।

रिश्वतखोरी के आरोप के बाद स्टाम्प व निबंधन विभाग में सभी तबादले निरस्त
खबर विस्तार : -

लखनऊ : सरकारी विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग में घूसखोरी के आरोप हमेशा से ही लगते रहते हैं। यूपी के स्टाम्प व निबंधन विभाग में गत दिनों हुए तबादलों में लेनदेन के आरोप लगने से हड़कंप मचा हुआ है। उपनिबंधकों और लिपिकों के ट्रांसफर को लेकर मनमानी व घूसखोरी की शिकायतों के बाद सरकार ने तत्काल प्रभाव से सभी तबादले निरस्त कर दिए। इसकी शिकायत सीएम और प्रधानमंत्री कार्यालय तक को भेजी गई थी। जिसके बाद तबादला निरस्त करने की कार्रवाई की गई है।

जानकारी के मुताबिक, महानिरीक्षक निबंधन उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा बीते 13 जून को तीन अलग-अलग पत्रों के जरिए 58 उपनिबंधकों, 29 नव-प्रोन्नत उपनिबंधकों का ट्रांसफर कर तैनाती आदेश जारी किए गए थे। वहीं, 14 जून को जारी एक अन्य आदेश में 114 कनिष्ठ सहायक (लिपिक) का तबादला किया गया था। इन सभी तबादलों में बड़े पैमाने पर अनियमितता और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की शिकायत उच्च लेबल तक पहुंचने के बाद शासन ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया। प्रमुख सचिव (राजस्व) अमित गुप्ता ने तत्काल प्रभाव से महानिरीक्षक निबंधन के सभी ट्रांसफर आदेशों को अग्रिम आदेशों तक के लिए निरस्त कर दिया है। 

कई अफसरों की भूमिका संदिग्ध 

विभागीय सूत्रों की मानें तो पूरे मामले में विभाग के ही दो अपर महानिरीक्षक समेत आधा दर्जन अफसरों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। इसको देखते हुए उक्त मामले की उच्च स्तरीय जांच होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, शासन स्तर से भी स्पष्ट किया गया है कि जब तक इस प्रकरण की पूरी जांच नहीं हो जाती, तब तक किसी का भी तबादला आदेश लागू नहीं किया जाएगा। अब इस कार्रवाई को लेकर विभाग में हलचल मची हुई है। 
 

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