लखनऊ : अब परिवहन निगम की पुरानी बसें, नीलाम नहीं होंगी। इन बसों को यूपीएसआरटीसी इलेक्ट्रिक बसों में तब्दील करेगा। परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि यह प्रयोग अन्य किसी दूसरे राज्य में अब तक नहीं किया गया है। परिवहन निगम की कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला राम मनोहर लोहिया वर्कशॉप में डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने का ट्रायल किया जा रहा है। ट्रायल के पहले चरण में इन बसों को फिट पाया गया है।
इसको देखते हुए रोडवेज प्रबंधन 500 डीजल बसों को ई-बसों में बदलने की तैयारी कर रहा है। परिवहन निगम के बेड़े में वर्तमान में अनुबंधित बसों को मिलाकर करीब 12,500 बसें हैं। इनमें से करीब 9,500 बसें परिवहन निगम की हैं। रोडवेज की सैकड़ों बसें निर्धारित किमी व आयु पूरी कर चुकी हैं। अब ये सड़क पर चलने लायक नहीं हैं। परिवहन निगम में बसों की नीलामी की शर्तें बदलती रहती हैं।
बसों की नीलामी की शर्तें वर्तमान में 12 लाख किमी और 10 वर्ष (जो पहले पूरा हो) है। हालांकि, अब इन बसों को नीलाम करने की जगह इलेक्ट्रिक बसों में तब्दील किया जाएगा। इस क्रम में कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला राम मनोहर लोहिया में 8 वर्ष पुरानी दो साधारण डीजल बसों को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट के तौर पर ई-बसों में बदला गया है। अब इन बसों को नए सिरे से आरटीओ में पंजीकृत कराया जाएगा।
पंजीकरण के बाद इन बसों को झांसी-ललितपुर मार्ग पर संचालित किया जाएगा। निगम अधिकारियों के अनुसार, परिवहन निगम के बेड़े से डीजल बसों को हटाकर इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है। ई-बसों को शामिल करने से प्रदूषण में कमी आएगी। साथ ही इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का खर्च कम होने से यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।
परिवहन निगम के अफसरों ने बताया कि डीजल बसों में रेट्रोफिटिंग का काम सहयोगी फर्म करेगी। वहीं, बस की नई बॉडी बनाने का काम रोडवेज कराएगा। एक डीजल बस को इलेक्ट्रिक बस में बदलने का खर्च करीब 90 लाख रुपये आएगा। नई इलेक्ट्रिक बस की कीमत करीब 1.5 करोड़ रुपये है। इस बदलाव से करीब 60 लाख रुपये की बचत होगी। अधिक संख्या में डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में तब्दील करने पर बड़े पैमाने पर बचत होगी।
परिवहन निगम की आगामी वर्षों में 5000 इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करने की योजना है। वर्तमान में परिवहन निगम ने 20 डबल डेकर समेत 120 इलेक्ट्रिक एसी बसों की खरीद कर चुका है। यूपीएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बताया कि दो सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर यह अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रयोग से बसों की ऑपरेशनल कॉस्ट कम होगी।
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