रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराने का खर्च होगा कम, योगी सरकार ला रही नया नियम

खबर सार : -
योगी सरकार किराया अनुबंध यानि रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी को कम करने जा रही है। रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से भवन स्वमी को किरायेदारी सम्बंधी विवाद में नए रेंट कंट्रोल कानून का फायदा मिलेगा। न्यायालय में बढते किरायेदारी सम्बंधी मामले भी कम होंगे।

खबर विस्तार : -

लखनऊ। मकान-फ्लैट को किराए पर देने पर होने वाले रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के लिए अब काफी कम धनराशि खर्च करनी पड़ेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार नया रेंट एग्रीमेंट नियम बनाने जा रही है। यह नियम बन जाने के बाद किरायादारीनामा की पक्की लिखा-पढी के लिए बहुत कम पैसा खर्च करना पड़ेगा। योगी सरकार किराया अनुबंध यानि रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी को कम करने जा रही है।

प्रदेश सरकार को भरोसा है कि रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के खर्च को कम कर देने से भवन स्वामी अधिक से अधिक किरायेदारी के अनुबंध को रजिस्टर्ड कराने के लिए आगे आएंगे। इससे भवन स्वमी को किरायेदारी सम्बंधी विवाद में नए रेंट कंट्रोल कानून का फायदा मिलेगा। वहीं किरायेदार को एग्रीमेंट से हटकर सिविल कोर्ट अथवा पुलिस राहत नहीं मिलेगी। इससे न्यायालय में बढते किरायेदारी सम्बंधी मामले भी कम होंगे।

नई व्यवस्था में एक लाख रुपए तक के वार्षिक किराए वाले रेंट एग्रीमेंट को सिर्फ 500 रुपए में रजिस्टर्ड कराया जा सकेगा। इसी प्रकार से 10 वर्ष तक के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने में सिर्फ 2000 रुपए का खर्च आएगा। वहीं 10 वर्ष तक की अवधि के लिए वार्षिक किराया छह लाख रुपए है तो इसके बाद भी अधिक से अधिक 8000 रुपए ही खर्च होंगे। मौजूदा समय में रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराने का खर्च काफी अधिक है।

अभी रेंट एग्रीमेंट रजिस्टर्ड कराने पर किराए का दो फीसदी स्टाम्प ड्यूटी लगती है। इसके चलते ही मकान मालिक और किरायेदार रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट नहीं कराते हैं। कानून के तहत 11 महीने के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं है। जिसके चलते ही 100 रुपए के स्टाम्प पर किरायेदारीनामा बनवाकर काम चलाया जा रहा है। ऐसे में मकान मालिक और किरायेदार में विवाद होने पर भवन स्वामी को थाने से लेकर न्यायालय तक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। मकान मालिकों को ऐसे विवाद से छुटकारा दिलाने के लिए ही प्रदेश सरकार रेंट एग्रीमेंट का खर्च काफी कम करने जा रही है। 

मंजूरी के लिए कैबिनेट में रखा जाएगा प्रस्ताव 

एक लाख रुपए तक के वार्षिक किराये के रेंट एग्रीमेंट का खर्च 500 रुपए, एक से तीन लाख रुपए किराये पर एक हजार रुपए और तीन से छह लाख रुपए किराया होने पर रेंट एग्रीमेंट का खर्च दो हजार रुपए संभावित है। इसके अलावा पांच वर्ष के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने पर 1500 से छह हजार रुपए और 10 वर्ष के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराने पर दो से आठ हजार रुपए का खर्च आएगा। सीएम योगी के निर्देश पर रेंट एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन का खर्चा कम करने के साथ इसकी प्रक्रिया को भी आसान बनाया जाएगा। जल्द ही मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। 

शुल्क अधिक होने से कम लोग कराते हैं रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 

वर्तमान में रेंट एग्रीमेंट का शुल्क अधिक होने से बहुत कम लोग ही रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराते हैं। अधिकतर लोग जरूरत पड़ने पर 100 रुपए के स्टांप पर किरायेदारीनामा बनवा लेते हैं। हालांकि इसका कोई कानूनी दावा नहीं होता है। स्टाम्प व पंजीयन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते साल भर में सिर्फ 86 हजार रेंट एग्रीमेंट हुए हैं। वहीं घर से लेकर दुकान और ऑफिस किराये पर देने वालों की संख्या लाखों में है।

ऐसे में अब रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की संख्या बढाने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है। स्टाम्प शुल्क के नियम को सरल करने के साथ ही इसे कम करने का प्रस्ताव बनाया गया है। इसके अलावा साल भर तक के एग्रीमेंट करने वालों के लिए अलग से पोर्टल तैयार कराया जाएगा। 
 

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