यूपी रोडवेज की तर्ज पर प्राइवेट बसों के लिए सभी जिलों में बनेंगे बस अड्डे

खबर सार : -
प्राइवेट बसों के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में अधिकृत बस अड्डे बनाएं जाएंगे। निजी बसों के लिए बस अड्डों की स्थापना दो एकड़ जमीन पर की जा सकेगी। निजी कम्पनी को बस अड्डा संचालन की अनुमति 10 वर्ष के लिए दी जाएगी। नीति के तहत सभी 75 जनपदों में निजी बसों के लिए स्टैंड भी बनाए जाएंगे। यहां पर यात्रियों और बस के चालक-परिचालकों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

खबर विस्तार : -

लखनऊ। प्रदेश में प्राइवेट बसों का संचालन अब सुगम होगा। इसके लिए प्रदेश के सभी जनपदों में अधिकृत बस अड्डे बनाएं जाएंगे। इन बस अड्डों का निर्माण सरकारी क्षेत्र में भी किया जाएगा। नगर पालिका, नगर परिषद के साथ ही निजी कम्पनियां भी बस अड्डे का निर्माण करा सकेंगी। हालांकि बस अड्डों पर यात्रियों के लिए सभी अत्याधुनिक सुविधाएं देना अनिवार्य किया गया है। गत मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में यूपी स्टेज कैरिज बस अड्डा, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और ऑल इंडिया टूरिस्ट बस पार्क (स्थापना एंव विनियमन) नीति-2025 के प्रस्ताव को हरी झंडी मिल गई।

निजी बसों के लिए बस अड्डों की स्थापना दो एकड़ जमीन पर की जा सकेगी। जिले के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी (नियामक प्राधिकारी समिति) बस अड्डों की स्थापना के लिए आवेदन लेगी और अनुमति प्रदान करेगी। आवेदक की बीते वित्तीय वर्ष में नेटवर्थ न्यूनतम 50 लाख रुपए और टर्नओवर न्यूनतम दो लाख रुपए होना चाहिए। निजी कम्पनी को बस अड्डा संचालन की अनुमति 10 वर्ष के लिए दी जाएगी।

सही संचालन कराने और किसी प्रकार की शिकायत न आने पर अगले 10 वर्ष के लिए नवीनीकरण किया जा सकेगा। नीति के तहत सभी 75 जनपदों में निजी बसों के लिए स्टैंड भी बनाए जाएंगे। यहां पर यात्रियों और बस के चालक-परिचालकों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। नई व्यवस्था से यातायात में सुधार होगा और यात्रियों को सहूलियत मिल सकेगी। 

एक आवेदक 10 से अधिक नहीं कर सकेगा आवेदन  

जिलों में बस अड्डों की स्थापना के लिए कई शर्तें बनाई गई हैं। इसके तहत एक आवेदक एकल या कंसोर्टियम के तौर पर आवेदन कर सकेगाा। कोई भी आवेदक प्रदेश में 10 से अधिक आवेदन नहीं कर सकेगा। साथ ही एक आवेदक को एक जनपद में दो से अधिक बस अड्डे की स्थापना की अनुमति नहीं मिलेगी। इसके अतिरिक्त एक मार्ग पर एक ही बस अड्डे की स्थापना की जा सकेगी। अनियमित संचालन अथवा किसी प्रकार की शिकायत की स्थिति में नियामक प्राधिकारी को संचालक को सुनवाई का अवसर देने के बाद बस अड्डा संचालन की अनुमति के निलंबन अथवा निरस्तीकरण का फैसला लेने का अधिकार होगा।

नियामक प्राधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील सुनने का अधिकार मंडलायुक्त को होगा। मंडलायुक्त को अपीलीय अधिकारी बनाया गया है। संचालक उनके समक्ष अपील कर सकेगा। नीति के तहत आवेदक एक विधिक इकाई होगा। बस अड्डा संचालन की अनुमति मिलने के एक वर्ष से पूर्व आवेदक किसी अन्य विधिक इकाई को बस अड्डे के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं कर सकेगा। 
 

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