लखनऊ के ग्रीन लंग्स को संरक्षित करने के लिए आयोजित रन फॉर कुकरैल कैंपेन में लोगों ने दिखायी एकजुटता

खबर सार :-
लखनऊ के ग्रीन लंग्स कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट को संरक्षित करने के मकसद से वॉक अभियान आयोजित किया गया।सिटीजन फॉर लखनऊ और कुकरैल रनर्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम के जरिए वनों पर बढ़ते पारिस्थितिकीय खतरों के विषय में जागरूकता फैलाई गई।

लखनऊ के ग्रीन लंग्स को संरक्षित करने के लिए आयोजित रन फॉर कुकरैल कैंपेन में लोगों ने दिखायी एकजुटता
खबर विस्तार : -

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के ग्रीन लंग्स कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट को संरक्षित करने के मकसद से वॉक अभियान शुक्रवार को आयोजित किया गया। लखनऊ के इस महत्वपूर्ण हरित क्षेत्र को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए वॉक अभियान में करीब 100 जागरूक नागरिकों ने हिस्सा लिया। सिटीजन फॉर लखनऊ और कुकरैल रनर्स की ओर से आयोजित कार्यक्रम के जरिए वनों पर बढ़ते पारिस्थितिकीय खतरों के विषय में जागरूकता फैलाई गई।

साथ ही कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट जैसे नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र में जंगल सफारी और चिड़ियाघर की स्थापना का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध किया गया। प्रतिभागियों ने कुकरैल प्रवेश द्वार से लेकर कुर्सी मार्ग के बाइसेक्शन तक 2 किमी तक वॉक में हिस्सा लिया। अभियान के प्रति एकजुटता के प्रतीक के रूप में विशेष रूप से डिज़ाइन की गई टी- शर्ट का वितरण भी किया गया। अभियान शांतिपूर्ण विरोध का मंच बना, जिसमें प्रस्तावित जंगल सफारी और चिड़ियाघर परियोजना का विरोध किया गया।

कुकरैल रिजर्व फॉरेस्ट में पहले से ही अतिक्रमण, मेडिकल और नगरपालिका कचरे के डम्पिंग के चलते वन क्षेत्र को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। अवैध रूप से नशेबाजी के चक्कर में जंगल में प्रवेश करने वाले लोगों द्वारा भी इसको नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस दौरान निहारिका, धर्मवीर, आलोक व ज्योत्सना द्वारा लोगों को लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के खतरों और बढ़ते प्रभावों के विषय में बताया गया।

साथ ही कहा कि कुकरैल को संरक्षित करना शहर के ग्रीन लंग्स की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने वनों की कम होती हरियाली, जैव विविधता की रक्षा और पारिस्थितिक संतुलन को  बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय संविधान में निहित पीढ़ी दर पीढ़ी समानता के सिद्धांत के विषय में भी जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि वर्तमान पीढ़ी को प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग ऐसे करना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित व उपलब्ध रहे। 

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