पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का किया गया आयोजन, श्रेष्ठ कार्यों को मिली सराहना

खबर सार :-
वित्तीय वर्ष 2025-26 में माटीकला एकीकृत विकास कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा मंडल स्तर पर शिल्पियों/कारीगरों/उद्यमियों को उनके माटीकला के श्रेष्ठ कार्यों के आधार पर  पुरस्कार वितरण का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का किया गया आयोजन, श्रेष्ठ कार्यों को मिली सराहना
खबर विस्तार : -

मीरजापुरः विंध्याचल मंडल, मीरजापुर में उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 के अंतर्गत “माटीकला एकीकृत विकास कार्यक्रम” के तहत एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की जानकारी क्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी, मीरजापुर मंडल, अमितेश कुमार सिंह ने दी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य माटीकला से जुड़े शिल्पियों, कारीगरों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करना तथा उनके उत्कृष्ट कार्यों को पहचान प्रदान करना था। यह आयोजन कंबल फैक्ट्री परिसर, पथरहिया रोड, मीरजापुर में संपन्न हुआ, जहाँ मंडल के विभिन्न जनपदों — मीरजापुर, सोनभद्र एवं भदोही — के माटीकला शिल्पकारों ने अपनी-अपनी श्रेष्ठ कलाकृतियों के साथ सहभागिता की।

मूल्यांकन के बाद किया गया पुरस्कृत

कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर की गई, जिसे उपायुक्त उद्योग, जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केंद्र, मीरजापुर तथा क्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी, मीरजापुर ने संयुक्त रूप से किया। इसके बाद माटीकला क्षेत्र के उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रतिभागियों को मंडल स्तर पर गठित चयन समिति द्वारा मूल्यांकन के उपरांत पुरस्कृत किया गया।

प्रथम पुरस्कार मीरजापुर जनपद के ग्राम व पोस्ट पटिहटा निवासी अविनाश कुमार मौर्य को प्राप्त हुआ, जबकि द्वितीय पुरस्कार चुनार, दरगाह शरीफ के रंजीत कुमार को दिया गया। वहीं तृतीय पुरस्कार संत रविदास नगर (भदोही) जनपद के चकापुर निवासी शेष कुमार प्रजापति को प्रदान किया गया। इन प्रतिभागियों ने माटीकला के क्षेत्र में अपनी नवीन तकनीकों, आकर्षक डिजाइनों और पारंपरिक शिल्प के संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान दिया है।

जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में दी जानकारी

कार्यक्रम के दौरान अधिकारियों द्वारा उत्तर प्रदेश माटीकला बोर्ड एवं राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं जैसे – माटीकला विकास योजना, प्रशिक्षण कार्यक्रम, वित्तीय सहायता, विपणन सुविधाएँ और रोजगार सृजन से संबंधित योजनाओं की जानकारी दी गई। उद्देश्य यह था कि अधिक से अधिक शिल्पकार इन योजनाओं का लाभ लेकर आत्मनिर्भर बन सकें और पारंपरिक माटीकला को आधुनिक बाजार से जोड़ सकें।

इस अवसर पर तीनों जनपदों — मीरजापुर, भदोही और सोनभद्र — के शिल्पकारों ने आपसी विचार-विमर्श किया और अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम में जिला एवं क्षेत्रीय ग्रामोद्योग कार्यालयों के अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। समग्र रूप से यह आयोजन माटीकला के संरक्षण, संवर्धन और शिल्पियों के सशक्तिकरण की दिशा में एक सराहनीय पहल साबित हुआ।

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