रामपुर में पंजाबी समुदाय का जोरदार प्रदर्शन, मंदिर की जमीन वापस करने की मांग

खबर सार :-
रामपुर में पंजाबी समुदाय ने दिल्ली में मंदिर की ज़मीन के मामले में DDA और नगर निगम की कथित तानाशाही कार्रवाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए एक रैली निकाली। उन्होंने एकजुट होकर मंदिर की जमीन को सुरक्षित रखने और भक्तों को उनका अधिकार लौटाने की मांग दोहराई।

रामपुर में पंजाबी समुदाय का जोरदार प्रदर्शन, मंदिर की जमीन वापस करने की मांग
खबर विस्तार : -

रामपुरः दिल्ली में मंदिर की जमीन पर दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) और नगर निगम की कथित तानाशाही के विरोध में रामपुर में पंजाबी समुदाय के लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। मंदिर दरगाह बाबा श्री पीर रतन नाथ जी झंडेवालन, दिल्ली के बैनर तले बड़ी संख्या में पंजाबी समाज के लोग सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्ण रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दिल्ली में स्थित प्राचीन मंदिर की भूमि को डीडीए और नगर निगम द्वारा कब्जे में लिया जा रहा है, जिससे पूरे पंजाबी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। रैली के दौरान लोगों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर मंदिर की जमीन को सुरक्षित रखने और वापस करने की मांग की। प्रदर्शन गली-गली और मोहल्लों से होते हुए शांतिपूर्ण ढंग से निकाला गया।

पंजाबी समाज के लोगों ने कहा कि मंदिर की भूमि कोई साधारण अचल संपत्ति नहीं, बल्कि उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, जिसे किसी भी कीमत पर नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि डीडीए और नगर निगम मंदिर की जमीन से छेड़छाड़ बंद करें और उसे भक्तों को वापस करें।

समुदाय के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह आंदोलन जन आंदोलन का रूप ले सकता है। आज भले ही यह रैली शांतिपूर्ण और खामोशी के साथ निकाली गई हो, लेकिन भविष्य में आंदोलन और व्यापक हो सकता है।

पंजाबी समुदाय ने नगर निगम और संबंधित अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि मंदिर की पवित्र भूमि को नुकसान पहुंचाना आस्था के साथ खिलवाड़ है। विश्व स्तर पर फैले भक्त अपनी इस पवित्र भूमि की रक्षा, संरक्षण और वापसी की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई किसी राजनीतिक उद्देश्य के लिए नहीं, बल्कि अपनी धार्मिक विरासत को बचाने के लिए है। 

अन्य प्रमुख खबरें