बांदा। मेडिकल कॉलेजों में शव नहीं मिलने की वजह से कॉलेजों की मान्यता पर खतरा मँडरा रहा है। संकट को देखते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) ने कई जिलों के ज़िलाधिकारियों को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है। पर्याप्त शव (बॉडी) उपलब्ध नहीं हो पाने से शारीरिक शिक्षण में बाधा आ रही है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में यह स्थिति है। इनमें बुंदेलखंड के बांदा व जालौन समेत सेंट्रल यूपी के सात जिले भी शामिल हैं। प्रदेश के प्रमुख सचिव ने इन जिलों के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर शवों की व्यवस्था में सहयोग करने के लिए कहा है।
एमबीबीएस आदि की पढ़ाई कर रहे छात्रों को लावारिस या दान किए गए शवों के जरिए पोस्टमार्टम और शरीर की संरचना तथा कार्यप्रणाली की जानकारी दी जाती है। जिन्हें 10 छात्रों के बीच एक शव उपलब्ध कराया जाता है। मेडिकल छात्र शवों या उनके अंगों को कैमिकल लगाकर लगभग एक साल तक शारीरिक शिक्षण के लिए प्रयोग में लाते हैं, लेकिन लावारिस शव यदाकदा ही मिलते हैं।
दूसरी तरफ स्वैच्छिक देह दान के प्रति लोगों में रुझान भी घटा है। इसका सीधा असर मेडिकल कालेजों में एनाटॉमी विभाग के छात्रों पर पड़ रहा है। खास दिक्कत यह आ रही है कि मानक के मुताबिक शव उपलब्ध न होने पर एनएमसी से मान्यता भी खतरे में पड़ सकती है।
प्रदेश के करीब 40 जिलों में यह समस्या है। इनमें सेंटर यूपी के बांदा, जालौन, फतेहपुर, औरैया, कन्नौज और कानपुर नगर और देहात शामिल हैं। हाल ही में प्रदेश के प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) ने इन जिलों के डीएम व एसपी को पत्र भेजकर स्थिति से अवगत कराया है।
लावारिस या दान वाले शवों को उ.प्र. एनाटॉमी एक्ट-1956 के तहत शारीरिक परीक्षण और विच्छेदन या चिकित्सा सहायता अथवा उपचार के उद्देश्य से शिक्षण चिकित्सा संस्थानों और अस्पतालों को उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। पुलिस रेगुलेशन में भी यह व्यवस्था दी गई है।
दुर्घटनाओं या किसी हादसे में मरने वालों के शव मेडिकल छात्रों के लिए नहीं लिए जाते। इसमें शर्त है कि शव सही सलामत हो। कोई अंग भंग या क्षतिग्रस्त न हो।
रानी दुर्गावती राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ एसके कौशल का कहना है कि उनके कॉलेज में मानक के मुताबिक हर वर्ष लगभग 10 शवों की जरूरत पड़ती है। स्थानीय स्तर पर शव उपलब्ध न हो पाने पर वह केजीएमयू लखनऊ से शव मंगा लेते हैं।
देहदान परोपकारी काम है। लगभग सभी धर्म-मजहब इसके समर्थक हैं। यह प्रथा मरने के बाद भी किसी के काम आने का संदेश देती है। रानी दुर्गावती राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज प्रधानाचार्य डॉ. एसके कौशल ने इसके लिए जागरूकता पर जोर दिया। बताया कि स्वैच्छिक देहदान के लिए मेडिकल कालेज के एनाटॉमी विभाग में निर्धारित प्रारूप पर आवेदन दिया जा सकता है।
अन्य प्रमुख खबरें
27 अगस्त को होगा बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, किसी को नहीं दी जाएगी मानद उपाधि
Delhi Flood: दिल्ली में मंडराने लगा बाढ़ का खतरा, खतरे के निशान के पार पहुंची यमुना, लोगों में दहशत
Mumbai Rain Alert: मूसलाधार बारिश से थमी मुंबई की रफ्तार, सड़कें और रेलवे ट्रैक सब डूबे
Delhi Weather : दिल्ली-NCR में भारी बारिश से डूबीं सड़कें, IMD ने जारी की चेतावनी
स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर घंटाघर में त्रिदिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ
स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी सुरक्षा : एक साथ दो बड़े पर्वों की चुनौतियां और सुरक्षा की तैयारी
Jaunpur Bus Accident: जौनपुर में रोडवेज बस और ट्रक जोरदार टक्कर, 5 की मौत
Har Ghar Tiranga: 'हर घर तिरंगा' में उमड़ा जनसैलाब, लखनऊ से CM योगी ने अभियान का किया आगाज
Dausa Road Accident: राजस्थान के दौसा में भयानक सड़क हादसा, पिकअप-कंटेनर की टक्कर में 11 की मौत
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में शिक्षकों द्वारा छात्रों से धोखाधड़ी का मामला सामने आया
Sepreme Court Big Decision: दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर नहीं लगेगी रोकः सुप्रीम कोर्ट