वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में बनेंगे लिफ्टिंग ब्रिज, जल परिवहन को मिलेगा बढावा

Summary : सूबे में जल परिवहन को बढावा देने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में लिफ्टिंग ब्रिज का निर्माण कराया जाएगा। गंगा, यमुना, गोमती, सरयू समेत 11 नदियों में लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की योजना है।

 

लखनऊ। सूबे में जल परिवहन को बढावा देने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में लिफ्टिंग ब्रिज का निर्माण कराया जाएगा। गंगा, यमुना, गोमती, सरयू समेत 11 नदियों में लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की योजना है। जल परिवहन को बढावा देने के लिए प्रदेश में पहले ही अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण का गठन किया जा चुका है। अब प्राधिकरण जल परिवहन को लेकर विभिन्न स्तर पर संभावनाएं तलाश रहा है। केद्र सरकार की ओर से पहले चरण में गाजीपुर, बलिया और वाराणसी में गंगा नदी पर लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की घोषणा की गई है। हिमालय और पहाड़ों से निकलने वाली गंगा, यमुना, सरयू जैसी सदानीरा (जिनमें साल भर पानी रहता है) नदियों के कारण प्रदेश में जल परिवहन की सबसे अधिक संभावनाएं हैं। जल परिवहन के लिए सबसे मुफीद गंगा का सर्वाधिक बहाव क्षेत्र (बिजनौर से बलिया तक) यूपी में ही है। लिफ्टिंग ब्रिज भारी मालवाहक जहाजों के आवागमन के दौरान ऊपर उठ जाते हैं और जहाज के गुजरने के बाद ब्रिज नीचे आकर पहले जैसे ही जुड़ जाते हैं। इससे आवागमन में कोई बाधा नहीं आती है। लिफ्टिंग ब्रिज का रख रखाव केंद्र सरकार दो साल तक अपने पास रखेगी। इसके बाद इसके रख रखाव की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार को सौंप देगी। प्रदेश में जैसे-जैसे अंतर्देशीय जलमार्ग का विस्तार होगा, उसी अनुसार लिफ्टिंग ब्रिजों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। दूसरे चरण में सरकार की योजना यमुना, गोमती, सरयू, बेतवा, वरुणा और राप्ती नदी पर भी लिफ्टिंग ब्रिज बनाने की योजना है। सूबे की योगी सरकार ने पहले ही इन नदियों को जल परिवहन से जोड़ने की घोषणा कर चुकी है। वहीं केंद्र सरकार की मदद से मंदाकिनी, केन, कर्मनाशा आदि नदियों में भी जल परिवहन की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। 

सस्ता, सुरक्षित और इकोफ्रेंडली है जल परिवहन

परिवहन के अन्य साधनों रेल, सड़क और हवाई यातायात के मुकाबले जल परिवहन काफी सस्ता है। ट्रांसपोर्ट के परम्परागत साधनों की तुलना में जल परिवहन करीब 90 प्रतिशत तक सस्ता है। यही नहीं जल परिवहन के अन्य लाभ भी हैं। दुर्घटना की संभावना न के बराबर होने के चलते यह सड़क परिवहन की तुलना में जान माल की सुरक्षा के लिहाज से भी सुरक्षित है। इसको बढावा मिलने से सड़कों को माल लाने और ले जाने वाले भारी वाहनों से कुछ हद तक छुटकारा मिलेगा। ईंधन की कम खपत के चलते जल परिवहन पर्यावरण संरक्षण में भी मददगार साबित होगा। जल परिवहन से उत्पाद का ट्रांसपोर्टेशन उन सभी स्थानों तक संभव होगा, जहां से नदी गुजरती है। इससे सम्बंधित जगहों के उत्पाद अन्य स्थानों तक पहुंचाए जा सकेंगे। इससे वहां की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। नया सेक्टर होने के चलते स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर अलग से मिलेंगे। 

1100 किमी लंबा है राष्ट्रीय जलमार्ग-1

पहले चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 प्रयागराज, वाराणसी और गाजीपुर होते हुए पश्चिम बंगाल के हल्दिया पोर्ट से जोड़ा गया है। इसकी कुल लंबाई करीब 1100 किमी है। इसके लिए वाराणसी में मल्टी मॉडल टर्मिनल, रामनगर, गाजीपुर व प्रयागराज में फ्लोटिंग टर्मिनल भी संचालित हैं। अगले चरण में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 को कानपुर से फर्रूखाबाद तक विस्तारित किया जाएगा।  
 

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