रेल डिब्बों के विद्युत रखरखाव में थर्मल इमेजिंग कैमरों का होगा उपयोग

खबर सार :-
ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर विभाग और भी सतर्क हो गया है। इसी कड़ी में कोटा मंडल के कोचिंग डिपो में अत्याधुनिक तकनीक वाले थर्मल इमेजिंग कैमरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि ट्रेनों में किसी भी तरह की खराबी का तुरंत पता लगाया जा सके।

रेल डिब्बों के विद्युत रखरखाव में थर्मल इमेजिंग कैमरों का होगा उपयोग
खबर विस्तार : -

कोटाः  डीआरएम अनिल कालरा के मार्गदर्शन में मंडल में आधारभूत संरचना के कार्यों के अलावा ट्रेनों की सुरक्षा पर विशेष फोकस किया जा रहा है। विद्युत सुरक्षा के लिए ट्रेन के डिब्बों के इलेक्ट्रिक पैनल में सर्किट ब्रेकर, कांटेक्टर, फ्यूज जैसे स्विच गियर लगाए जाते हैं, लेकिन कई बार कनेक्शन ढीला होने और ओवरहीटिंग का पता नहीं चलने के कारण दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। 

कई बार इलेक्ट्रिक पैनल में आंतरिक खराबी का तुरंत पता नहीं चल पाता। ट्रेन के डिब्बों की विद्युत प्रणाली के रखरखाव को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाने के लिए कोटा मंडल के कोचिंग डिपो में अत्याधुनिक तकनीक वाले थर्मल इमेजिंग कैमरों का उपयोग किया जा रहा है। थर्मल इमेजिंग कैमरे ट्रेन के डिब्बों में लगे स्विचबोर्ड पैनल को स्कैन कर हॉट स्पॉट और ढीले कनेक्शन को तुरंत पहचान लेते हैं, जिन्हें रखरखाव के दौरान ठीक किया जाता है। 

थर्मल इमेजिंग कैमरों का उपयोग वायरिंग, बल्ब होल्डर, इनवर्टर यूनिट और अन्य विद्युत उपकरणों की गर्मी की स्थिति को स्कैन करने के लिए किया जा सकता है। यदि किसी उपकरण का तापमान परिवेश के तापमान से 25 डिग्री अधिक पाया जाता है, तो उस उपकरण को पैनल से अलग करके तकनीकी खराबी को ठीक किया जाता है। कोटा कोचिंग डिपो में पिछले एक साल से थर्मल इमेजिंग कैमरे का इस्तेमाल किया जा रहा है, थर्मल इमेजिंग के दौरान 14 कोचों में ढीले कनेक्शन और ओवरहीटिंग के मामले पाए गए, जिन्हें मेंटेनेंस के दौरान समय रहते ठीक कर लिया गया और संभावित आग दुर्घटना को टाला गया। 

थर्मल इमेजिंग कैमरे के मुख्य लाभ: 


आग दुर्घटनाओं की रोकथाम प्रकाश 

व्यवस्था की विश्वसनीयता में वृद्धि 

कम समय में सटीक निरीक्षण

 शुरुआत में इस तकनीक को राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत ट्रेनों की इलेक्ट्रिकल सिस्टम में लागू किया जा रहा है। सफल ट्रायल के बाद इसे अन्य ट्रेनों और रेलवे वर्कशॉप में भी अपनाया जाएगा। रेलवे के तकनीकी कर्मचारियों को भी इस नई तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि भारत में रेलवे मेंटेनेंस सिस्टम को वैश्विक मानकों के बराबर लाया जा सके।

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