Kedarnath Mandir: उत्तराखंड का ऐतिहासिक केदारनाथ मंदिर कई रहस्यों और मान्यताओं से जुड़ा है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। अब केदारनाथ मंदिर का हूबहू निर्माण उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हो रहा है। जिसको लेकर बवाल मचा हुआ है। उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति के निर्माण को लेकर नाराज हैं। उन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ और मंदिरों की पहचान व परंपरा पर प्रहार बताया है। साथ ही मंदिर निर्माण पर रोक लगाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है। अखिलेश यादव ने मंदिर का वीडियो शेयर किया था जिसके बाद विवाद बढ़ गया। सरकार ने चारधाम के नाम के दुरुपयोग पर रोक लगाने का फैसला किया है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने श्रावण के पहले सोमवार को सोशल मीडिया पर इटावा के एक मंदिर का वीडियो शेयर किया, जो हूबहू केदारनाथ जैसा दिखता है। अखिलेश द्वारा शेयर किए गए वीडियो में मंदिर का नाम 'केदारेश्वर' बताया गया है। इसका निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। वीडियो में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पूजा करते नजर आ रहे हैं। मंदिर परिसर में दुकानें भी नजर आ रही है।
सपा नेता द्वारा वीडियो प्रसारित करने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। तीर्थ पुरोहितों सहित उत्तराखंड के कई धार्मिक संगठन और स्थानीय निवासी इस निर्माण की आलोचना कर रहे हैं। वहीं, श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने इटावा में केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के निर्माण का विरोध किया है। केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी का कहना है कि यह न केवल धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ है, बल्कि मंदिरों की पहचान और परंपरा पर भी प्रहार है।
उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि यह आस्था का अपमान और नकल है। अगर मंदिर निर्माण नहीं रोका गया तो तीर्थ पुरोहित उत्तर प्रदेश जाकर अखिलेश यादव के घर के बाहर धरने पर बैठेंगे। तीर्थ पुरोहितों को उम्मीद है कि जिस तरह दिल्ली में केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर निर्माण के प्रस्ताव पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कड़ा रुख अपनाया था, उसी तरह इस बार भी वे ठोस कदम उठाएंगे।
बता दें कि इटावा में सफारी पार्क के सामने बन रहे केदारेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कार्य पिछले तीन सालों से चल रहा है। इसके पूरा होने में अभी भी छह महीनों का समय लग सकता है। इस मंदिर का निर्माण सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। अखिलेश यादव ने इस मंदिर का शिलान्यास वर्ष 2021 में किया था। 72 फीट ऊंचे मंदिर का मुख्य ढांचा केदारनाथ मंदिर पर आधारित है, लेकिन इसे एक इंच छोटा बनाया गया है। तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और वास्तुकारों की टीम इस मंदिर निर्माण में लगी है। इसकी अनुमानित लागत 40 से 50 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
दरअसल काफी समय तक इस मंदिर के निर्माण की जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई थी, लेकिन हाल ही में अखिलेश यादव ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। इसके बाद मंदिर परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले, जब दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ नाम से मंदिर बनाने की कोशिश की गई थी, तब उत्तराखंड में इसका भारी विरोध हुआ था। धार्मिक संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए इसे मूल मंदिर की पवित्रता में हस्तक्षेप बताया। हालांकि सीएम पुष्कर सिंह धामी और श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के हस्तक्षेप से दिल्ली में मंदिर निर्माण रोक दिया गया था।
साथ ही उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर साफ कर दिया कि चार धाम के नाम पर कोई ट्रस्ट नहीं बनेगा, कोई मंदिर नहीं बनेगा और न ही कोई व्यावसायिक उपयोग होगा। इतना ही नहीं ये भी कहा गया था कि यदि कोई व्यक्ति इन धामों के नाम और स्वरूप की नकल करके मंदिर बनाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अब सबकी निगाहें इटावा में बन रहे इस मंदिर पर टिकी हैं। देखना यह है कि उत्तराखंड सरकार और धार्मिक संगठनों की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है। वहीं, कई लोग अखिलेश यादव की इस धार्मिक पहल को आगामी चुनावों से भी जोड़ रहे हैं।
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