लखनऊ: खराब मौसम में प्रदेश की राजधानी की सड़कों पर चलना बेहद खतरनाक है। आंधी-तूफान और बारिश के दौरान यहां की सड़कों पर चलना खतरा मोल लेने जैसा ही है। यह खतरा अब और बढ़ गया है, क्योंकि अप्रैल से जून तक आंधी और तूफान के अलावा लू अक्सर बना रहता है। बारिश के दौरान भी होर्डिंग्स के गिरने का डर बना रहता है। शहर की तमाम इमारतों में खतरनाक हालत में होर्डिंग्स लगी हुई हैं। यह हालत तब है, जबकि शहर में होर्डिंग्स लगाने के लिए नगर निगम, एलडीए और आवास विकास की गाइड लाइन बनी हुई है। जबकि खतरनाक मुहाने पर लगी ज्यादातर प्रचार सामग्री अवैध तरीके से ही लगाई गई हैं।
लखनऊ शहर में सैकड़ों होर्डिंग्स ऐसे भवनों पर लगी हुई हैं, जो काफी कमजोर हैं। मानकों के विपरीत होने के बाद भी यह सालों से लगी हुई हैं।
कभी भी इनके गिरने का डर बना रहता है। होर्डिंग्स लगाने के लिए इंजीनियरों का प्रमाणपत्र जरूरी होता है। विभागों से एनओसी भी जरूरी होती है। यह इस बात के लिए प्रमाणित करता है कि जिस भवन में लगी हुई हैं, वह कमजोर नहीं है। सीमेंट के पिलर पर इनको लगाया जा रहा है। इसमें अवधि तथा होर्डिंग्स का वजन भी लिखा होता है, लेकिन इन तमाम शर्तां का उल्लंघन किया जा रहा है। बीते साल नगर निगम ने अवैध होर्डिंग्स हटाने के लिए अभियान चलाया था, लेकिन कुछ दिन ही अधिकारियों ने इसमें सक्रियता दिखाई। एक जानकारी के अनुसार, राजधानी में आज भी करीब सौ जर्जर मकानों में अवैध तरीके से होर्डिंग्स लगाई गई हैं। इनमें प्रचार समग्री का भी पता नहीं है। आंधी में इनके गिरने का डर हमेशा रहता है।
बीते साल लालकुआं में एक होर्डिंग मकान के साथ गिर गया था। पूरे शहर में करीब एक हजार से ज्यादा ऐसी प्रचार सामग्री लगाई गई हैं, जिनकी एनओसी नहीं है। अपै्रल से अप्रैल तक सौ के करीब होर्डिंग्स के लिए प्रमाण पत्र दिया गया था। नगर निगम की जांच में यह बात सामने आई है कि एक हजार से ज्यादा प्रचार सामग्री बिना प्रमाण पत्र के हैं। यानी यह सभी अवैध तरीक से लगाई गई हैं। नगर निगम की ओर से अपर नगर आयुक्त पंकज श्रीवास्तव को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
जिस तरह से शहर में प्रचार सामग्री लगाई गई हैं, उसकी गणना के बाद यदि इन पर जुर्माना लगे तो दो करोड़ रूपये के करीब राजस्व आएगा, लेकिन एनओसी न होने के बाद भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। अब आंधी और तूफान में यह बेहद खतरनाक हालत में हैं। शहर के वीवीआईपी रोड, पुराने लखनऊ और पीजीआई क्षेत्र में भी यह बड़ी संख्या में लगे हुए हैं। हालांकि, नगर निगम ऐसी अवैध प्रचार सामग्री हटाने और संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई का दावा कर रहा है। अब देखना यह है कि बारिश से पहले इनको हटाया जाता है या नहीं।
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