जून से शुरू होगी बिजली दरों पर सुनवाई, आयोग ने स्वीकार किया एआरआर

खबर सार : -
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2025-26 की बिजली दरों पर सुनवाई जून माह से शुरू होगी। आयोग ने सुनवाई के लिए सभी बिजली कम्पनियों के दाखिल एआरआर को स्वीकार कर लिया है। बिजली कम्पनियों ने इस बार बिजली दरें बढाने का कोई प्रस्ताव नहीं दाखिल किया है। ऐसे में अब दरों में परिवर्तन का निर्णय नियामक आयोग पर निर्भर है।

खबर विस्तार : -

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2025-26 की बिजली दरों पर सुनवाई जून माह से शुरू होगी। आयोग ने सुनवाई के लिए सभी बिजली कम्पनियों के दाखिल एआरआर को स्वीकार कर लिया है। बिजली कम्पनियों ने इस बार बिजली दरें बढाने का कोई प्रस्ताव नहीं दाखिल किया है। ऐसे में अब दरों में परिवर्तन का निर्णय नियामक आयोग पर निर्भर है। आयोग ने पांचों डिस्कॉम के वर्ष 2025-26 के एआरआर समेत ट्रू-अप 2023-24 और वर्ष 2024-25 के वार्षिक प्रदर्शन समीक्षा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

नियामक आयोग ने आदेश में लिखा है कि मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के तहत बिजली कम्पनियों की ओर से बिजली दरों में वृद्धि का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है। ऐसे में सभी बिजली कम्पनियों को अपना सभी डाटा तीन दिनों के भीतर सार्वजनिक करना होगा। बिजली दरों पर सुनवाई को लेकर उपभोक्ता 21 दिनों में अपने सुझाव ओर आपत्तियां दर्ज कराएंगे। नियामक आयोग जून माह से आम जनता के बीच सुनवाई शुरू करेगा।

यूपीपीसीएल की सभी बिजली कम्पनियों की कुल वार्षिक राजस्व आवश्यकता करीब एक लाख 13923 करोड़ है। सभी बिजली कम्पनियां लगभग 133779 मिलियन यूनिट बिजली बेचेंगी। वहीं बिजली कम्पनियों की ओर से एआरआर में मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन के तहत लाइन लॉस का कोई भी आंकड़ा नहीं फाइल किया गया है। इसमें कुल गैप  10 हजार करोड़ के करीब है।  

नियमतः नहीं बढाई जा सकेंगी बिजली दरें 

उपभोक्ता परिषद ने बताया कि नियमतः बिजली दरों में इस वर्ष वृद्धि नहीं की जा सकती है। सभी बिजली कम्पनियों पर उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपए बकाया है। बिजली दरों पर सुनवाई के समय नियामक आयोग से परिषद यह मांग करेगा कि उपभोक्ताओं का बकाया पहले लौटाया जाए। उपभोक्ताओं का बकाया हर माह बिजली बिल में लौटाया जाए। इससे बिजली दरें बढने की जगह कम होंगी। 

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