श्रीराम जन्मस्थली में श्रद्धालुओं के लिए बनेगा एक और भव्य मार्ग, योगी सरकार देने जा रही सौगात

खबर सार :-
श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में योगी सरकार एक और भव्य मार्ग की सौगात देने जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ का उपहार दिया जा चुका है। अब अयोध्या में भरत पथ के निर्माण का प्रस्ताव है। यह नया पथ भगवान राम के छोटे भाई और तपस्वी भरत की तपोस्थली भरतकुंड को अयोध्या से जोड़ेगा।

खबर विस्तार : -


लखनऊ/ अयोध्या: भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में योगी सरकार एक और भव्य मार्ग की सौगात देने जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से राम पथ, भक्ति पथ, और जन्मभूमि पथ का उपहार दिया जा चुका है। अब अयोध्या में भरत पथ के निर्माण का प्रस्ताव है। यह नया पथ भगवान राम के छोटे भाई और तपस्वी भरत की तपोस्थली भरतकुंड को अयोध्या से जोड़ेगा। इससे श्रद्धालुओं को दर्शन-पूजन में और अधिक सुविधा मिल सकेगी।

इस योजना की अनुमानित लागत 900 करोड़ रुपए है। इसका प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग की ओर से पीडब्ल्यूडी मुख्यालय भेजा गया है। इस मार्ग से न सिर्फ धार्मिक महत्व को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अयोध्या को विश्वस्तरीय धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र के रूप में सशक्त बनाएगा। योगी सरकार में अयोध्या को वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के तौर पर विकसित करने का काम तेज गति से किया जा रहा है।

राम मंदिर के निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं को बेहतर आवागमन की सुविधा देने के लिए राज्य सरकार कई मार्गों के निर्माण के साथ अन्य मार्गों का चौड़ीकरण भी करा रही है। राम पथ, भक्ति पथ, जन्मभूमि पथ के निर्माण के बाद अब भरत पथ और पंचकोसी व चौदहकोसी परिक्रमा मार्गों के चौड़ीकरण का काम चल रहा है।

लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशाषी अभियंता एसपी भारती ने बताया कि 20 किमी लंबे भरत पथ के निर्माण के लिए 900 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत का डीपीआर पीडब्ल्यूडी मुख्यालय भेजा है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। भरत पथ मार्ग पर दूधिया रोशनी के लिए लाइटिंग की भी व्यवस्था की जाएगी।

वनवास के समय भरतकुंड में की थी 14 वर्षों तक तपस्या 

भरतकुंड का रामायण में विशेष महत्व है। मान्यता है कि भगवान राम के वनवास के समय उनके अनुज भरत ने यहां पर ही 14 वर्षों तक तपस्या की थी। राम के वनवास से वापस आने पर उन्होंने यहीं पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। इस स्थान पर एक पौराणिक सरोवर भी है।

यह सरोवर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। पूर्वांचल और प्रयागराज से आने वाले श्रद्धालु इस पवित्र स्थान  पर दर्शन-पूजन के लिए विशेष रूप से जाते हैं। भरत पथ के निर्माण से श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा होगी और अयोध्या की धार्मिक यात्रा और अधिक सुगम हो जाएगी।
 

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