लखनऊः ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल किसी को भी नुकसान दे सकता है। हाल में ही किए गए एक रिसर्च से इस बात का पता चला कि बच्चों को मोबाइल से ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। इनकी आंखों का पानी सूखने लगता है। इससे इनकी आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है। आखों के रेटिना में टेढ़ापन आने लगता है। यह शोध अलीगढ़ के गांधी नेत्र चिकित्सालय का है। जानकारी के अनुसार, करीब 3000 बच्चों पर शोध किया गया। अध्ययन में इस बात की जानकारी मिली कि टीवी, मोबाइल, ऑनलाइन क्लास, वीडियो गेम, स्मार्ट वॉच, इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स का दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है।
इसके इस्तेमाल से बच्चों की आंखों की रोशनी प्रभावित हो रही है। इनकी आंखों में तमाम तरह की दिक्कतें आ रही हैं। जैसे, आंखों का पानी सूखना, रोशनी कम होना और असामान्य तरीके से पलक झपकने की शिकायतें बढ़ रही हैं। गांधी नेत्र चिकित्सालय में हुए शोध में यह बताया गया कि आंखों की रेटिना भी टेढ़ी हो रही है। 3000 बच्चों की समस्याओं में समानता का कारण एक जैसी ही है। जिन तीन हजार बच्चों को शोध में शामिल किया गया, उनकी उम्र को तीन भागों में बांटा गया। तीन से पांच वर्ष, पांच से दस और 10 से 12 वर्ष की आयु में इनकी आंखों पर असर का अध्ययन किया गया।
पूरी जानकारी यही है कि मोबाइल, ऑनलाइन क्लास, टीवी, स्मार्ट वॉच, वीडियो गेम के अलावा इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स भी आंखों की रोशनी कम कर देते हैं। बताते हैं कि करीब 70 फीसदी शहरी बच्चे इसकी चपेट में हैं। बाकी तीस फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। ऐसे बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिनकी आंखों में दिक्कतें हैं। यही कारण है कि आंखों पर चश्मा लगाए बच्चों की संख्या भी बढ रही है। डॉ. अजय कुमार सक्सेना, नेत्र चिकित्साधिकारी, गांधी नेत्र चिकित्सालय की सलाह है कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा मोबाइल से दूर रखें। शुरूआती दिक्कतों के लक्षण आंखों में सूखापन, धुंधलापन, खुजली आदि हो सकती है।
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