नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तियानजिन में चल रही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में पहलगाम की घटना का जिक्र किया और आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि इस पर किसी भी तरह का दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं है और सभी देशों को एकजुट होकर इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि मानवता के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम बिना किसी भेदभाव के हर रूप और रंग के आतंकवाद का विरोध करें।" प्रधानमंत्री मोदी ने तियानजिन (China) में आयोजित 25वें SCO शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 24 वर्षों से SCO के भीतर हमेशा सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाई है। भारत की नीति सुरक्षा, संपर्क और अवसर इन तीन स्तंभों पर आधारित है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी देश की प्रगति की नींव हैं। साथ ही, आतंकवाद इन लक्ष्यों की राह में सबसे बड़ी बाधा है। पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी मानवता पर सीधा प्रहार है। उन्होंने इस कठिन समय में भारत के साथ खड़े मित्र देशों के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि इस हमले ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आतंकवाद का खुलेआम समर्थन करने वाले देशों के व्यवहार को स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत ने संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व करके आतंकवादी संगठनों से लड़ने की पहल की है। उसने आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाई है। उल्लेखनीय है कि शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी और आज यह एशिया क्षेत्र में राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग का एक प्रमुख मंच बन गया है।
SCO शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि मज़बूत कनेक्टिविटी न केवल व्यापार को बढ़ावा देती है, बल्कि विकास और विश्वास के द्वार भी खोलती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, हम चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी पहलों पर काम कर रहे हैं। इससे हमें अफ़ग़ानिस्तान और मध्य पूर्व के साथ कनेक्टिविटी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है।"
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि हमने लगातार कानून प्रवर्तन और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया है, मतभेदों को उचित ढंग से सुलझाया है, बाहरी हस्तक्षेप का स्पष्ट रूप से विरोध किया है और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखी है। हम बेल्ट एंड रोड सहयोग की शुरुआत करने वाले पहले देश थे। हमने हमेशा अंतरराष्ट्रीय निष्पक्षता और न्याय का समर्थन किया है, सभ्यताओं के बीच समावेशिता और आपसी सीख की वकालत की है, और आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध किया है।"
अन्य प्रमुख खबरें
टेरर फंडिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: शब्बीर शाह को नहीं मिली अंतरिम जमानत
Renewable Energy: भारत ने 2025 में अब तक जोड़ी 30 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता: प्रल्हाद जोशी
Punjab Flood : पंजाब में बाढ़ से बिगड़े और हालात, सभी स्कूल-कॉलेज 7 सितंबर तक बंद
Flood in North India : दिल्ली, पंजाब, और हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश का कहर
Maratha Reservation: मनोज जारांगे ने खत्म किया आंदोलन, सरकार ने मानी सभी मांगे
Maratha Reservation Protest : मनोज जरांगे को पुलिस ने भेजा नोटिस, आजाद मैदान खाली करने का आदेश
जनसंख्या नीति पर मोहन भागवत का सुझाव: 'हम दो, हमारे तीन' होनी चाहिए नीति
RSS On BJP President : आरएसएस का भाजपा के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं, मोहन भागवत का बड़ा बयान