मोबिलिटी, डिजिटल पासपोर्ट सेवा और वैश्विक कार्यबल पर भारत का रुख स्पष्टः एस. जयशंकर

खबर सार :-
विश्व वार्षिक सम्मेलन 2025 में एस. जयशंकर के संबोधन ने स्पष्ट कर दिया कि भारत वैश्विक मोबिलिटी, डिजिटल शासन और पासपोर्ट सेवाओं में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है। रेमिटेंस से लेकर सुरक्षित प्रवासन तक, भारत अपनी नीतियों को आधुनिक वैश्विक मांगों के अनुरूप ढाल रहा है। यह दृष्टिकोण भारत को अंतरराष्ट्रीय कार्यबल और आर्थिक साझेदारी के केंद्र में स्थापित करता है।

मोबिलिटी, डिजिटल पासपोर्ट सेवा और वैश्विक कार्यबल पर भारत का रुख स्पष्टः एस. जयशंकर
खबर विस्तार : -

The Mobility Imperative: नई दिल्ली में आयोजित विश्व वार्षिक सम्मेलन 2025 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर बदलती मोबिलिटी, आर्थिक जुड़ाव और सुरक्षित प्रवासन जैसे मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण रखा। भारत सरकार के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन की थीम ‘द मोबिलिटी इम्पेरेटिव’ रखी गई थी, जिसमें डिजिटल शासन, पासपोर्ट सेवाओं में सुधार और विदेशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा पर विशेष चर्चा हुई।

आर्थिक जुड़ाव से आगे बढ़कर ‘मोबिलिटी इकोनॉमी’ पर जोर

अपने संबोधन की शुरुआत में एस. जयशंकर ने कहा कि विश्व से जुड़ाव की बात हमेशा व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि एक बड़ा आयाम ‘मैनपावर मोबिलिटी’ भी है। उन्होंने बताया कि भारत ने पिछले वर्ष 135 बिलियन डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त किया, जो अमेरिका को भारत के कुल निर्यात से लगभग दोगुना है। जयशंकर के अनुसार, रेमिटेंस केवल धन भेजने का माध्यम नहीं है. इसके साथ प्रवासी भारतीयों की आजीविका, विदेशों में उनके द्वारा निर्मित संपत्ति और भारत में सेवाओं के विस्तार जैसे व्यापक प्रभाव भी जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक मोबिलिटी एक विशाल आर्थिक क्षेत्र बन चुका है, जिसका वास्तविक आकार रेमिटेंस से कई गुना अधिक है।

अवैध आवाजाही के दुष्परिणामों पर चेतावनी

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि जहां वैध और औपचारिक मोबिलिटी का सकारात्मक प्रभाव होता है, वहीं अवैध मार्गों से होने वाली आवाजाही से मानव तस्करी जैसे अपराध बढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि वैध मोबिलिटी को मजबूत करके ही दुनिया इन खतरों से निपट सकती है। उन्होंने कहा कि आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में ऐसे मौके मौजूद हैं जहां डेमोग्राफी और डिमांड मेल नहीं खाते। कई देश ऐसे हैं जहां काम की मांग अधिक है, लेकिन वहां जनसंख्या कम है। वहीं दूसरी ओर कई समाजों में कुछ तरह के काम करने के प्रति हिचक भी देखने को मिलती है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मोबिलिटी वैश्विक विकास का अनिवार्य तत्व बन चुकी है।

भारत की पासपोर्ट सेवा में ऐतिहासिक परिवर्तन: विदेश मंत्री

सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने भारत की पासपोर्ट सेवा यात्रा का विस्तृत ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि दस वर्ष पहले देश में केवल 77 स्थानों पर पासपोर्ट के लिए आवेदन किया जा सकता था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 545 से अधिक हो चुकी है। उन्होंने कहा, “आज भारत का लगभग हर नागरिक कुछ ही घंटे की दूरी तय करके पासपोर्ट बनवाने पहुँच सकता है। पहले पासपोर्ट के लिए बड़े शहरों में जाना पड़ता था और प्रक्रिया में कई दिन लगते थे। अब यही पासपोर्ट भारत की अंतरराष्ट्रीय मोबिलिटी की पहली सीढ़ी है।”

डिजिटल गवर्नेंस का ‘पोस्टर चाइल्ड’ बना पासपोर्ट प्रोग्राम

जयशंकर ने गर्व के साथ कहा कि आज भारत का पासपोर्ट कार्यक्रम डिजिटल गवर्नेंस का ‘पोस्टर चाइल्ड’ बन चुका है। पासपोर्ट खो जाने या विदेश में रहते हुए इसे रिन्यू कराने की मुश्किलें जो पहले प्रवासी भारतीयों को परेशान करती थीं, अब लगभग समाप्त हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक डिजिटल सिस्टम की वजह से आज कोई भी भारतीय दुनिया के किसी भी देश में रहकर अपना पासपोर्ट रिन्यू करा सकता है या नया पासपोर्ट बनवा सकता है। इसके लिए अब गृह राज्य या होम डिस्ट्रिक्ट लौटने की आवश्यकता नहीं है।

प्रवासी भारतीयों की सुरक्षाः भारत की शीर्ष प्राथमिकता

विदेश मंत्री ने प्रवासियों की सुरक्षा को भारत की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर बताया। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार ऐसी नीतियाँ और समझौते कर रही है, जिससे विदेशों में रहने वाले भारतीय अधिक सुरक्षित और सशक्त महसूस करें। उन्होंने कहा कि भारत के बढ़ते वैश्विक संबंधों और तेज़ी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के बीच मोबिलिटी एक ऐसा स्तंभ है, जो आने वाले दशकों में भारत की वैश्विक स्थिति को और मजबूत करेगा।

 

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