नई दिल्लीः भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम हर तरह के उद्योग धंधों का अहम योगदान है। सरकार निजी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के माध्यम से अनेकों प्रकार की सुविधाएं दे रही है। आत्मनिर्भर भारत योजना और डिजिटल इंडिया योजना के तहत स्टार्टअप को बढ़ावा देने में हर संभव मदद की जा रही है। इसी कड़ी में नीति आयोग ने मध्यम उद्यमों को अर्थव्यवस्था के भविष्य के विकास इंजन में बदलने के लिए एक व्यापक छह-सूत्री रोडमैप प्रस्तुत किया है। जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि मध्यम उद्यम देश के एमएसएमई का मात्र 0.3 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन इस क्षेत्र के निर्यात में इनका योगदान 40 प्रतिशत है।
नीति आयोग के मुताबिक मध्यम उद्यमों की पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए लक्षित हस्तक्षेपों की रूपरेखा तैयार की गई है। एमएसएमई क्षेत्र में संरचनात्मक विषमता पर गहराई से चर्चा की जाती है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 29 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान देता है। इसके साथ ही 60 प्रतिशत से अधिक वर्कफोर्स को रोजगार भी प्रदान करता है। इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद एमएसएमई क्षेत्र की संरचना असमान रूप से भारित है।
नीति आय़ोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि रजिस्टर्ड एमएसएमई में से 97 प्रतिशत माइक्रो एंटरप्राइज हैं। इसके अलावा 2.7 प्रतिशत स्मॉल और केवल 0.3 प्रतिशत मध्यम उद्यम हैं। मध्यम उद्यमों के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया गया है, जिसमें अनुकूलित वित्तीय उत्पादों तक सीमित पहुंच, एडवांस तकनीकों को सीमित रूप से अपनाना, अपर्याप्त आरएंडडी सपोर्ट, सेक्टोरल टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा उद्यम आवश्यकताओं के बीच बेमेल शामिल हैं। ये सीमाएं उनके पैमाने और इनोवेशन की क्षमता में बाधा डालती हैं। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए, रिपोर्ट में छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों के साथ एक व्यापक नीति की रूपरेखा दी गई है। इनमें उद्यम टर्नओवर से जुड़ी एक वर्किंग कैपिटल फाइनेंसिंग स्कीम की शुरूआत, बाजार दरों पर 5 करोड़ रुपए के क्रेडिट कार्ड की सुविधा और एमएसएमई मंत्रालय की देखरेख में रिटेल बैंकों के माध्यम से त्वरित निधि वितरण तंत्र शामिल हैं।
नीति आयोग की रुपरेखा के मुताबिक इंडस्ट्री 4.0 सॉल्यूशन को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए मौजूदा टेक्नोलॉजी केंद्रों को क्षेत्र-विशिष्ट और क्षेत्रीय रूप से अनुकूलित भारत एसएमई 4.0 सक्षमता केंद्रों में अपग्रेड करना। एमएसएमई मंत्रालय के भीतर एक डेडिकेटेड आरएंडडी सेल की स्थापना, राष्ट्रीय महत्व की क्लस्टर-आधारित परियोजनाओं के लिए आत्मनिर्भर भारत कोष का लाभ उठाना। अनुपालन को आसान बनाने और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए क्षेत्र-केंद्रित परीक्षण और प्रमाणन सुविधाओं का विकास किया जाएगा। कौशल कार्यक्रमों को क्षेत्र और क्षेत्र के अनुसार उद्यम-विशिष्ट आवश्यकताओं के साथ जोड़ना, और मौजूदा उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रमों (ईएसडीपी) में मध्यम उद्यम-केंद्रित मॉड्यूल का एकीकरण शामिल किया गया है।
उद्यम प्लेटफॉर्म के भीतर एक डेडिकेटेड सब-पोर्टल का निर्माण, जिसमें योजना डिस्कवरी टूल, अनुपालन सहायता और एआई-आधारित सहायता शामिल है, ताकि उद्यमों को संसाधनों को प्रभावी ढंग से नेविगेट करने में मदद मिल सके। इस बात पर भी जोर दिया गया है कि मध्यम उद्यमों की क्षमता को अनलॉक करने के लिए समावेशी नीति डिजाइन और सहयोगी शासन की ओर बदलाव की आवश्यकता है। फाइनेंस, टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, कौशल और सूचना तक पहुंच में रणनीतिक समर्थन के साथ, मध्यम उद्यम नवाचार, रोजगार और निर्यात वृद्धि के चालक के रूप में उभर सकते हैं। यह परिवर्तन 'विकसित भारत- 2047' के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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