भारतीय शेयर बाजार: नई दिशा की ओर, RBI बैठक और वैश्विक घटनाओं पर टिकी चाल

खबर सार :-
भारतीय शेयर बाजार के लिए अगला सप्ताह निर्णायक होगा। आरबीआई की ब्याज दरों पर नीति, भारत-अमेरिका व्यापार समझौता, एफआईआई गतिविधियां और वैश्विक संकेतक मिलकर बाजार की चाल तय करेंगे। हालांकि हाल की गिरावट ने सतर्कता बढ़ाई है, लेकिन संभावित सकारात्मक घटनाएं बाजार को सहारा दे सकती हैं। निवेशकों को जोखिम प्रबंधन के साथ रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

भारतीय शेयर बाजार: नई दिशा की ओर, RBI बैठक और वैश्विक घटनाओं पर टिकी चाल
खबर विस्तार : -

मुंबई: भारतीय शेयर बाजार के लिए आगामी सप्ताह कई महत्वपूर्ण घटनाओं से भरपूर रहने वाला है, जो बाजार की दिशा तय कर सकती हैं। प्रमुख रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक, भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर बातचीत, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की गतिविधियां और वैश्विक आर्थिक संकेतकों की भूमिका निर्णायक होगी।

RBI की नज़र ब्याज दरों पर

MPC की बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच होने जा रही है, जिसमें ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी। जानकारों के अनुसार, केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है। वर्तमान में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर है, जिसे फरवरी 2025 से अब तक करीब 1 प्रतिशत तक घटाया जा चुका है। यदि कटौती होती है, तो यह ब्याज दरों में नरमी के संकेत के रूप में देखा जाएगा, जिससे बैंकिंग, ऑटो, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स को लाभ मिल सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में संभावित सुधार

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत निवेशकों के लिए विशेष महत्व रखती है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की है। इस डील से दोनों देशों के बीच व्यापारिक टैरिफ और अन्य बाधाओं में छूट मिलने की उम्मीद है, जिससे औद्योगिक, फार्मा और टेक कंपनियों को सीधा लाभ मिल सकता है।

FII और DII का आंकड़ा बना चिंता का विषय

एफआईआई ने पिछले सप्ताह 19,570.03 करोड़ के शेयरों की बिक्री की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 17,411.4 करोड़ के शेयर खरीदे। इस भारी बिकवाली के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है। निवेशकों की धारणा को एफआईआई की आगे की रणनीति काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।

बाजार में गिरावट की बड़ी वजहें

बीते सप्ताह निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमशः 2.65% और 2.66% की गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को सेंसेक्स 733 अंक और निफ्टी 236 अंक गिरकर बंद हुए। यह गिरावट मुख्यतः एशियाई बाजारों की कमजोरी, दवा कंपनियों पर अमेरिकी टैरिफ की घोषणा, एक्सेंचर की कमजोर गाइंडेंस और वैश्विक अनिश्चितता की वजह से देखी गई। विशेष रूप से आईटी और फार्मा शेयरों में जबरदस्त गिरावट आई।

निकट भविष्य की रणनीति

वर्तमान परिस्थितियों में निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। हालांकि, ब्याज दरों में संभावित कटौती, सकारात्मक ट्रेड डील और घरेलू खपत बढ़ने की संभावना के चलते दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह एक रणनीतिक अवसर हो सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भारतीय बाजार घरेलू निवेश और मांग आधारित सेक्टरों की ओर अधिक केंद्रित रहेगा।

 

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