Indian Rupee vs USD: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ रूपया

खबर सार :-
टैरिफ को लेकर अनिश्चितता के बावजूद वैश्विक घटनाक्रमों, घरेलू आर्थिक संकेतकों और निवेशकों के भरोसे के चलते भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले फिलहाल मजबूती बनाए हुए है।

Indian Rupee vs USD: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ रूपया
खबर विस्तार : -

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की चेतावनी के बावजूद भारतीय रुपया सोमवार को मजबूती के साथ खुला। विश्लेषकों के अनुसार यह भारत की आर्थिक स्थिरता, घरेलू निवेशकों के विश्वास और वैश्विक आर्थिक संकेतकों की सकारात्मकता का संकेत है।

अमेरिका-रूस की प्रस्तावित वार्ता का असर

भारतीय मुद्रा शुक्रवार को 87.66 प्रति डॉलर के मुकाबले सोमवार को 13 पैसे की मजबूती के साथ 87.53 पर खुली। व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल रुपये की ट्रेडिंग रेंज 87.25 से 87.80 के बीच रहने की संभावना है। शुरुआती घंटे में रुपया 87.51 पर खुलने की उम्मीद थी, लेकिन विदेशी मुद्रा बाजार ने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया। रुपये की इस मजबूती के पीछे एक बड़ा कारण 15 अगस्त को प्रस्तावित अमेरिका-रूस वार्ता है, जिससे रूस-यूक्रेन युद्ध में संभावित विराम और भारत पर लगाए जाने वाले टैरिफ को लेकर राहत की उम्मीद जताई जा रही है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट भी रुपये के पक्ष में रही। सोमवार सुबह एशियाई बाजारों में ब्रेंट ऑयल 66.25 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गया, जिससे भारत जैसे आयातक देशों को राहत मिली।

भारत पर 27 अगस्त से लागू होगा टैरिफ

भारत पर प्रस्तावित टैरिफ 27 अगस्त से लागू होना है, जो खासतौर पर कपड़ा, चमड़ा और समुद्री खाद्य क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका ने भारत पर सबसे अधिक 50 प्रतिशत शुल्क दर प्रस्तावित की है, जो चीन और तुर्की की तुलना में कहीं अधिक है। भारत सरकार ने इन टैरिफ्स को 'अनुचित और अकारण' करार देते हुए इनका विरोध किया है।

सीपीआई और डब्ल्यूपीआई पर निवेशकों की नजर

वैश्विक स्तर पर निवेशकों की नजर 12 और 14 अगस्त को जारी होने वाले खुदरा (सीपीआई) और थोक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर होगी। यदि ये आंकड़े सकारात्मक रहे, तो भारतीय रुपया और मजबूत हो सकता है। हालांकि, टैरिफ लागू होने की स्थिति में भारत के निर्यात राजस्व में गिरावट, पूंजी बहिर्वाह और महंगाई में वृद्धि जैसे जोखिम बने रहेंगे। इस बीच, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली इस सप्ताह भी जारी रही, जिससे बाजार में कुछ दबाव बना। लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की लगातार खरीदारी ने भारतीय शेयर बाजार को स्थिर बनाए रखा।

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