Hooghly Snakes:  सांपों का आतंक,  छह महीने में 500 से ज्यादा लोगों को काटा

खबर सार :-
Hooghly Snakes: हुगली ज़िले के आरामबाग में सांप कांटने की घटाएं बढ़ती जा रही है। पिछले 6 महीने में 500 से ज्यादा लोग सर्पदंश का शिकार हो चुके है। जबकि कई लोगों की जान जा चुकी है। सांप काटने के सबसे ज्यादा मामले जून में सामने आए थे।

Hooghly Snakes:  सांपों का आतंक,  छह महीने में 500 से ज्यादा लोगों को काटा
खबर विस्तार : -

Hooghly Snakes: पश्चिम बंगाल के हुगली ज़िले के आरामबाग उपखंड में सांपों के काटने की घटनाएं चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई हैं। पिछले छह महीनों में कुल 500 से ज्यादा लोगों को सांपों ने काटा है। इनमें से पांच लोगों की जान भी जा चुकी है। जबकि कई लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है।

 छह महीने में 500 से ज्यादा लोगों को सांपों ने काटा

मेडिकल कॉलेज के आंकड़ों के अनुसार, 6 महीने में 516 लोगों को सांप के काटने का शिकार हो गए है। जनवरी में सांप के काटने के कारण 13 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। फरवरी में यह संख्या बढ़कर 64 हो गई, जिनमें से एक मरीज शहर का निवासी था। मार्च में 57 लोगों को सांपों ने काटा था, अप्रैल में यह आंकड़ा बढ़कर 74 हो गया। मई में साँप के काटने से रिकॉर्ड 107 लोग बीमार पड़े। जून में सबसे ज़्यादा 196 मामले सामने आए, जिनमें शहर के 10 निवासी भी शामिल थे। जुलाई में भी सांप के काटने के कई मामले सामने आए हैं।

आरामबाग मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामप्रसाद राय ने बताया कि अनुमंडल में सर्पदंश की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हालांकि समय पर इलाज मिलने से मृत्यु दर कम है, लेकिन कई बार मरीज को मृत अवस्था में लाया जाता है, जिससे उसकी जान बचाना संभव नहीं हो पाता। उन्होंने लोगों से अपील की कि सांप के काटने पर तुरंत अस्पताल पहुंचें, बिना देर किए, अन्यथा परिणाम घातक हो सकते हैं।

हर दिन 8 से 10 लोग हो रहे सांप का शिकार

सूत्रों का कहना है कि आरामबाग के अलावा बांकुड़ा, मिदनापुर और पूर्वी बर्दवान के विभिन्न इलाकों से भी सांप काटने के मरीज यहां हर दिन इलाज के लिए पहुंचते हैं। बरसात के मौसम में सर्पदंश के कारण औसतन हर दिन आठ से दस लोग भर्ती हो रहे हैं। इसे देखते हुए आपातकालीन विभाग में विशेष व्यवस्था की गई है। स्थानीय लोगों और मरीजों के परिजनों का कहना है कि जलभराव और गीले वातावरण के कारण सांपों का प्रकोप बढ़ गया है। खेतों में काम कर रहे किसान और घरों में मौजूद लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज में देरी कई बार मरीज की हालत गंभीर बना देती है। इसलिए लोगों को अधिक सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है।

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