लखनऊ: परिवहन विभाग के फेसलेस लर्निंग लाइसेंस की तकनीकी गड़बड़ियां आवेदकों की मुसीबतें हर दिन बढ़ा रही हैं। विभाग को आवेदकों की ओर से कई बार शिकायतें भी मिली, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही वजह है कि साइबर जालसाजों की अवैध गतिविधियां अब भी फल-फूल रही हैं। आवेदक ठगी का शिकार हो रहे हैं। फतेहपुर के धीरेंद्र कुमार नाम के युवक ने लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जब अपना फाइनल प्रिंट चेक किया तो वह हैरान रह गया। धीरेंद्र कुमार के नाम की जगह FROUD SALE और उनके पिता राम आसरे की जगह PAYMENT MAT KAR ASRE लिखा हुआ था।
परिवहन विभाग की चार दर्जन से अधिक सेवाएं ऑनलाइन की जा चुकी हैं। ऑनलाइन हो चुकी अधिकतर सेवाओं में आरटीओ कार्यालय का हस्तक्षेप खत्म हो चुका है। ऑनलाइन हो चुकी सेवाओं में लर्निंग लाइसेंस भी शामिल है। लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदक को सारथी पोर्टल पर आवेदन की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। फेसलेस लर्निंग लाइसेंस के लिए एकमात्र जरूरी दस्तावेज आधार कार्ड है। फेसलेस के तहत आधार कार्ड पर दर्ज नाम और पता लर्नर लाइसेंस पर दिखाई देता है। फतेहपुर निवासी धीरेंद्र कुमार ने 15 अप्रैल को लर्नर लाइसेंस के लिए आवेदन किया और फीस जमा कर टेस्ट पास करने के बाद लाइसेंस डाउनलोड कर लिया।
लाइसेंस पर अपना और पिता का नाम देखकर धीरेंद्र के होश उड़ गए। पूरा नाम बदला हुआ था। इसके बाद वह फतेहपुर आरटीओ कार्यालय गए। वहां से भी कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद वह कई दिनों तक साइबर कैफे के चक्कर काटते रहे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। परेशान होकर उन्होंने आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद मामला परिवहन विभाग मुख्यालय पहुंचा। परिवहन आयुक्त बृजेश नारायण सिंह ने इस मामले पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) को पत्र लिखकर इन खामियों को दूर करने को कहा है। परिवहन आयुक्त बीएन सिंह का कहना है कि लर्निग लाइसेंस में ऐसा मामला सामने आया है कि आवेदक और उसके पिता का नाम एडिट कर बदल दिया गया है। यह काफी गंभीर मामला है। इसके लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को पत्र लिखा गया है, जल्द ही इसे ठीक करा दिया जाएगा ताकि लाइसेंस में कोई दिक्कत न आए।
ड्राइविंग लाइसेंस पर आधार कार्ड के अलावा अन्य विवरण कैसे दर्ज हो गया? परिवहन विभाग के अफसरों की समझ में भी यह बात नहीं आ रही है। अब मामला एमओआरटीएच के पास है। इसके बाद इसे एनआईसी को भेजा जाएगा। फेसलेस में इससे पहले भी कई गंभीर मामले आ चुके हैं। मृतक के नाम लाइसेंस जारी होने के अलावा नाम और अवधि में गड़बड़ी समेत कई मामले सामने आए हैं। परिवहन विभाग ने पहले तो इन सभी मामलों से खुद को अलग कर लिया। मामला MORTH के जरिए NIC तक पहुंचा, लेकिन सुधार के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
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