सफलता की कहानी गढ़ रहा परिवहन निगम, पूरे हुए स्थापना के 53 वर्ष

खबर सार :-
1947 में राजकीय रोडवेज से शुरू हुआ यूपी रोडवेज का सफर 78 वर्षों से अनवरत जारी है। प्रदेश में पहली बस का संचालन लखनऊ से बाराबंकी तक के लिए किया गया था। एक बस से शुरू हुआ सफर आज 10 हजार से अधिक बसों तक पहुंच गया है।

सफलता की कहानी गढ़ रहा परिवहन निगम, पूरे हुए स्थापना के 53 वर्ष
खबर विस्तार : -

लखनऊ : एक जून को उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम स्थापना दिवस होता है। बीते एक जून को उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम 53 वर्ष का हो गया। उप्र राजकीय रोडवेज एक जून 1972 को परिवहन निगम में तब्दील हुआ था। ऐसे में राजकीय रोडवेज ने 78 वर्षों का सफर पूरा कर लिया है। आजादी से पूर्व राजकीय रोडवेज रहने के दौरान प्रदेश की पहली बस दो शहरों के बीच संचालित की गई थी। उस दौर से लेकर अब तक रोडवेज का इतिहास स्वर्णिम रहा है। हालांकि यात्रियों की संख्या के मुकाबले अभी भी बसों की संख्या में उतना इजाफा नहीं हो पा रहा है।

वर्तमान में रोडवेज में हर स्तर पर करीब 55 हजार कर्मी कार्यरत हैं। टेक्नोलॉजी के दौर में रोडवेज की कई सेवाएं तकनीकी से लैस हो चुकी हैं। परिवहन निगम के प्रदेश भर में 300 से अधिक बस स्टेशन हैं। बसों के मेंटीनेंस के लिए 115 से अधिक वर्कशॉप हैं। राजकीय रोडवेज (15 मई 1947) की स्थापना के बाद यूपी के पहले चीफ मिनिस्टिर गोविंद बल्लभ पंत ने लखनऊ के अवध डिपो से बाराबंकी तक बस से यात्रा की थी। परिवहन निगम के बेड़े में शामिल साधारण और एसी बसों में यात्री अलग-अलग शहरों तक सफर करते हैं।

रोडवेज का बस बेड़ा अनुबंधित बसों को मिलाकर 12599 है। बेड़े में साधारण बस, एसी जनरथ बस, एसी शताब्दी बस, महिला स्पेशल पिंक बस, पवन हंस व इलेक्ट्रिक बस शामिल है। परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बताया कि देश में सबसे अधिक नई बसों का बेड़ा यूपी के पास है। नई इलेक्ट्रिक बसें भी बेड़े में शामिल हो रही हैं। एयरपोर्ट की तर्ज पर बस स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं। यात्रियों को ऑनलाइन किराया भुगतान के तहत क्यूआर कोड की सुविधा भी दी जा रही है।

ग्रामीण इलाकों के उन मजरों को भी बस सेवा से जोड़ा जा रहा है, जहां पर बसें नहीं चल रही थीं। यात्रियों की सुविधा के लिए बेड़े में 5000 नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल करने की योजना पर काम जारी है। इनमें 20 एसी इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसें आ चुकी हैं। पहली बार 500 पुरानी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में तब्दील किया जा रहा है। ट्रेनों की तर्ज पर यात्री घर बैठे सुगम और राही ऐप से बसों की लोकेशन जान सकेंगे। एसी बसों में पहली बार मासिक पास की सुविधा शुरू करने की योजना है।

परिवहन निगम ने पहली बार 19 डिपो वर्कशॉप को निजी हाथों में भी सौंपा है। इसमें लखनऊ क्षेत्र का अवध डिपो भी शामिल है। इसके अतिरिक्त मेरठ क्षेत्र का सोहराब गेट डिपो, सहारनपुर क्षेत्र का छुटमलपुर डिपो, अलीगढ़ क्षेत्र का एटा डिपो, कानपुर क्षेत्र का विकास नगर डिपो, नजीराबाद डिपो, हरदोई डिपो, जीरो रोड डिपो, ताज डिपो साहिबाबाद डिपो, बदायूं डिपो, इटावा डिपो, झांसी डिपो, कैंट डिपो, बांदा डिपो, बलरामपुर डिपो शामिल हैं। 

पीपीपी मोड पर विकसित हो रहे 23 बस अड्डे  

यूपी रोडवेज के 23 बस अड्डों को पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जा रहा है। इन बस अड्डों मॉल बनाए जा रहे हैं। जहां पर यात्रियों को खरीदारी की भी सुविधा मिल रही है। 90 वर्षों के लीज पर निजी कम्पनी को सौंपा बस अड्डों को सौंपा गया है। इन बस अड्डों में अमौसी, विभूतिखंड और चारबाग (लखनऊ), सोहराबगेट (मेरठ), सिविल लाइंस और जीरो रोड (प्रयागराज), अयोध्याधाम, रायबरेली, कौशाम्बी (गाजियाबाद) बस स्टेशन गाजियाबाद, बस स्टेशन बुलंदशहर, बस स्टेशन डिपो कार्यशाला साहिबाबाद (गाजियाबाद), नोएडा बस स्टेशन, फाउंड्रीनगर बस स्टेशन/डिपो कार्यशाला (आगरा) शामिल हैं।  

यूपी से इन राज्यों तक हो रहा बसों का संचालन 

परिवहन निगम की बसें यूपी के सभी जिलों तक संचालित हो ही रही हैं। इसके साथ ही देश के कई अन्य प्रांतों तक भी बसों का संचालन किया जा रहा है। इसके लिए करीब एक दर्जन राज्यों से बस संचालन का अनुबंध यूपी रोडवेज ने किया है। यूपी से दिल्ली, बिहार, उत्तराखंउ, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, जम्मू कश्मीर तक बसें संचालित हो रही हैं। इसके नेपाल के जनकपुर के लिए भी यूपी से बसें संचालित की जा रही हैं। 
 

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