Brahmos Missile: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आज एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी ने ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। लखनऊ स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट में तैयार की गई इन मिसाइलों का यह पहला प्रेषण न केवल यूपी डिफेंस कॉरिडोर की सफलता का प्रतीक है, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लखनऊ अब केवल तहज़ीब का शहर नहीं रहा, बल्कि यह टेक्नोलॉजी और उद्योग का प्रमुख केंद्र बन गया है। रक्षा निर्माण के क्षेत्र में यहां से उठाया गया हर कदम भारत की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक पल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना की सिद्धि बताया।
उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल हमारी स्वदेशी तकनीक की शक्ति का प्रतीक है। न केवल देश की रक्षा के लिए, बल्कि मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा में भी यह अहम भूमिका निभाएगी। इस परियोजना से प्रदेश के हजारों युवाओं को रोजगार मिला है और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।" कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को अ प्रत्यक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की ताकत साफ नजर आई है। पाकिस्तान की एक-एक इंच जमीन अब हमारे मिसाइलों की पहुंच से बाहर नहीं है। यह मिसाइल भारत की रक्षा क्षमता को अजेय बनाती है।
इस अवसर पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि ब्रह्मोस यूनिट के माध्यम से प्रदेश को अब तक 40 करोड़ का जीएसटी प्राप्त हो चुका है और भविष्य में यह राशि सालाना 200 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि झांसी में डिफेंस कॉरिडोर के लिए 56,000 एकड़ भूमि विकसित की जा रही है, और राज्य सरकार रक्षा मंत्रालय को हरसंभव सहयोग दे रही है।
गौरतलब है कि लखनऊ की ब्रह्मोस यूनिट, अमेठी की एके-203 राइफल यूनिट और झांसी की BDF यूनिट के माध्यम से उत्तर प्रदेश न केवल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का हब बनता जा रहा है, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार का सशक्त माध्यम भी बन रहा है। यह दिन न केवल लखनऊ बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का दिन है, जब स्वदेशी तकनीक से बनी विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस की पहली खेप ने आत्मनिर्भर भारत को एक नई उड़ान दी।
इससे पहले 11 मई को राजनाथ सिंह ने लखनऊ स्थित ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई का वर्चुअल उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद को लेकर सख्त संदेश देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख किया था। उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब आतंकवादियों को सरहद पार भी सुरक्षित पनाह नहीं मिलेगी। हमने केवल सीमावर्ती ठिकानों पर ही कार्रवाई नहीं की, बल्कि हमारी सेनाओं की गूंज रावलपिंडी तक पहुंची है, जो पाकिस्तानी फौज का मुख्यालय है। राजनाथ सिंह का यह बयान न केवल भारत की सुरक्षा नीति में आए बदलाव का संकेत था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब खतरे को सीमाओं तक सीमित नहीं रहने देगा।
• ब्रह्मोस मिसाइल ध्वनि की गति से 2.8 से 3 गुना तेज उड़ सकती है।
• इसे जमीन, हवा और पानी तीनों प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।
• यह फायर एण्ड फॉरगेट तकनीक पर आधारित है, यानी लॉन्च होने के बाद किसी और इनपुट की जरूरत नहीं होती।
• यह 290 किलोमीटर से 500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकती है, जबकि नवीनतम वर्जन 800 किमी तक मार करने में सक्षम है।
• यह 200-300 किलोग्राम तक का पारंपरिक या न्यूक्लियर वारहेड ले जा सकती है।
• इसकी स्टेल्थ तकनीक दुश्मन के रडार से बच निकलने में मदद करती है।
• सु-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से भी इसे लॉन्च किया जा सकता है।
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