विधवा माँ की चीख अनसुनी! गवाहों को खुलेआम हत्या की धमकी, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

खबर सार :-
सोनभद्र में एक पीड़ित महिला ने दबंगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है जिसमें उसने कहा है कि गांव के दबंगों ने उसके परिवार पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

विधवा माँ की चीख अनसुनी! गवाहों को खुलेआम हत्या की धमकी, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
खबर विस्तार : -

सोनभद्रः सोनभद्र जिले में न्याय और कानून व्यवस्था को खुली चुनौती देती एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी खतरे में डाल दिया है। रेणुकूट में, एक महत्वपूर्ण मुकदमे के मुख्य गवाहों के सामने ही अभय प्रताप सिंह, पुत्र स्वर्गीय शिव प्रताप सिंह (बबलू सिंह) पर जानलेवा हमला किया गया। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि आरोपियों ने गवाहों और पीड़ित को खुली धमकी दी— “जैसे तुम्हारे पिता की हत्या की गई थी, वैसे ही तुम्हें भी मार देंगे… मुकदमे की पैरवी बंद कर दो।

इस घटना का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि पीड़ित की विधवा माँ अपने परिवार की सुरक्षा के लिए लगातार प्रशासन से गुहार लगा रही हैं, परंतु उनके अनुसार योगीराज में भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

शादी समारोह में किया हमला

घटना 04 दिसंबर रात चुर्क स्थित विकास बैंक्वेट के बाहर, अभय प्रताप सिंह अपने मुकदमे के चार मुख्य गवाह गणेश तिवारी, किशन सिंह, दिलीप बागले और सत्या सिंह के साथ विवाह समारोह में पहुंचे थे। जैसे ही वह कार से उतरे कुछ लोगों ने उन्हें घेर लिया। आरोपियों ने गवाहों को डराते हुए अभय प्रताप सिंह पर जानलेवा हमला कर दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद सभी आरोपी मौके से फरार हो गए।

पीड़ित की विधवा माँ, जो पहले भी अपनी सुरक्षा को लेकर प्रशासन को लिखित सूचना दे चुकी हैं, फूट-फूटकर बताती हैं—“हम योगीराज में हैं, फिर भी हमारी सुनवाई क्यों नहीं हो रही है? मेरे बच्चों की जान खतरे में है… अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। उनकी यह पुकार प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। 

पीड़ित और नागरिकों की मांग

अभय प्रताप सिंह ने रॉबर्ट्सगंज कोतवाली में शिकायत दर्ज करते हुए आरोपियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में तत्काल कड़ी कार्रवाई की मांग की है। क्षेत्र के नागरिक और न्यायविद भी इसे मात्र मारपीट का मामला न मानकर गवाहों को धमकाने और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की एक संगठित आपराधिक साजिश बताते हुए SIT जैसी ठोस जांच की मांग कर रहे हैं। गवाहों की सुरक्षा और तेज कार्रवाई इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया व कार्रवाई की गति अब जनता की निगाहों में है। यदि जल्द सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह बन सकता है।
 

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