लखनऊ : पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने ड्राफ्ट और दस्तावेजों की विस्तृत रिपोर्ट ऊर्जा प्रबंधन से तलब की है। सीएजी ने दस्तावेजों के लिए पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त को पत्र भेजा है। सीएजी द्वारा निजीकरण से सम्बंधित रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद से पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त निधि कुमार नारंग ने सीएजी का पत्र मिलने की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा है कि वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2024-25 का ऑडिट कैग द्वारा किया जा रहा है। ऑडिट के दौरान सामान्य प्रक्रिया के तहत कैग ने निजीकरण के मसौदे के साथ अन्य दस्तावेजों की जानकारी मांगी है। इस बाबत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कैग द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था का निजीकरण खतरे में है। कैग ने निजीकरण के मसौदे की फाइल और अन्य दस्तावेज तलब किए हैं। अगर कैग इस मामले की जांच करे तो भ्रष्टाचारियों का पकड़ा जाना तय है। पत्र मिलने के बाद पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन में हड़कंप मचा हुआ है। यह पूरा मामला सरकारी धन के दुरुपयोग का है।
भारत सरकार से मिले 44,094 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी बिजली कम्पनियों को निजी हाथों में बेचना सरकारी धन का सीधा दुरुपयोग है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम पर करीब 7,434 करोड़ रुपये और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पर करीब 9,481 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसके बाद भी इन दोनों कम्पनियों को बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जून में उपभोक्ता परिषद की ओर से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजकर निजीकरण मामले की सीबीआई या कैग से जांच कराने की मांग की गई थी। ऊर्जा क्षेत्र में पहली बार निजीकरण से पहले ही कैग द्वारा मसौदा तलब किया गया है।
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