Etawah Safari Park: इटावा सफारी में गूंजी किलकारी, 'रूपा' ने चार शावकों को दिया जन्म

खबर सार :-
Etawah Safari Park: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित 'इटावा सफारी पार्क' में बीती रात शेरनी 'रूपा' ने चार शावकों को जन्म दिया।  शेरनी रूपा और उसके चारों नवजात शावक पूरी

Etawah Safari Park: इटावा सफारी में गूंजी किलकारी, 'रूपा' ने चार शावकों को दिया जन्म
खबर विस्तार : -

Etawah Safari Park: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित 'इटावा सफारी पार्क' में बीती रात शेरनी 'रूपा' ने चार शावकों को जन्म दिया।  शेरनी रूपा और उसके चारों नवजात शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। रूपा अपने शावकों की देखभाल के लिए उनसे जरा भी दूर नहीं जा रही है। इटावा सफारी पार्क प्रशासन के अनुसार शेरनी रूपा का 5 जनवरी 2025 को गुजरात के नर शेर 'कान्हा' के साथ मिलन हुआ था।

 Etawah Safari Park: सभी शावक स्वस्थ

 बता दें कि रूपा का यह तीसरा प्रसव है। इससे पहले 3 सितंबर 2023 को उसने एक शावक को जन्म दिया था, जिसे रखवालों और डॉक्टरों की देखरेख में पाला गया था, क्योंकि मां 'रूपा' ने उसे दूध नहीं पिलाया था। सफारी प्रबंधन ने बताया कि शावकों का जन्म 20-21 अप्रैल की रात पहला शावक 12.35 बजे, दूसरा 1.42 बजे और तीसरा शावक सुबह 5.59 बजे पैदा हुआ। जबकि सोमवार सुबह 10 बजे चौथे शावक का जन्म हुआ। प्रबंधन ने दो सीसीटीवी वीडियो भी जारी किए हैं। फिलहाल सभी नवजात शावकों और शेरनी की हालत स्वस्थ बताई जा रही है। 'रूपा' खुद शावकों की देखभाल कर रही हैं।

 पिछले महीने शेरनी नीरजा ने  3 शावकों को दिया था जन्मे 

 सफारी प्रबंधन उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इससे पहले मार्च 2025 में शेरनी 'नीरजा' ने तीन शावकों को भी जन्म दिया था, जो फिलहाल एक महीने से अधिक उम्र के हैं। सफारी पार्क में अब तक कुल 16 शावकों का जन्म हो चुका है, जिनमें से नौ दूसरी पीढ़ी के हैं। शेरनी 'रूपा' का जन्म भी 26 जून 2019 को इटावा सफारी पार्क में हुआ था। उसकी मां जेसिका ने 2016 से 2020 के बीच कई शावकों को जन्म दिया, जिनमें प्रमुख हैं 'सिम्बा', 'बाहुबली', 'सुल्तान', 'भारत', 'सोना', 'गार्गी' और 'नीरजा'।

इटावा सफारी पार्क के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने बताया कि वर्तमान में पार्क में कुल 21 बारबरी शेर हैं, जिनमें से 16 का जन्म यहीं हुआ है। गुजरात के अलावा यह देश में बारबरी शेरों का एकमात्र सफल प्रजनन केंद्र है, जहां इनका संरक्षण और संवर्धन लगातार जारी है।


 

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