मुंबई : मुंबई में कबूतरों से फैल रही बीमारियों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बीएमसी को कबूतर-खानों को बंद करने का आदेश दिया है। 51 कबूतर-खानों पर कार्रवाई शुरू होगी। जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसी तरह की समस्या को लेकर दिल्ली में भी याचिका दाखिल हुई है जिसकी सुनवाई लंबित है। सेहत संबंधी खतरों की वजह से इस तरह का फैसला लिया गया है। कबूतरों से होने वाली बीमारी पर महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई महानगरपालिका को मुंबई में कबूतर-खाने तुरंत बंद करने का आदेश दिया है।
महाराष्ट्र विधान परिषद में गुरुवार को यह मुद्दा उठाते हुए शिवसेना नेता और मनोनीत विधान परिषद सदस्य मनीषा कायंदे ने कहा कि ये कबूतर-खाने आस-पास रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं, क्योंकि उनकी बीट और पंख सांस संबंधी बीमारियों का कारण बनते हैं। परिषद की एक मनोनीत सदस्य और बीजेपी की नेता चित्रा वाघ ने कहा कि कबूतरों की बीट शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक है। इससे सांस संबंधी बीमारियों का उदय होता है। एक रिश्तेदार भी इसकी वजह से नहीं है।
शहरी विकास मंत्री और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से जवाब देते हुए मंत्री उदय सामंत ने जानकारी दी है कि शहर में 51 कबूतर-खाने हैं। उन्होंने कहा कि कबूतरों को दाना डालने के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। नगर निकाय को एक महीने के भीतर कबूतर-खानों के खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए कहा जाएगा। कबूतर खानों को तुरंत बंद करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए को निर्देश जारी किए जाएंगे।
एक महीने पहले दिल्ली में कबूतरों की गंदगी के खिलाफ एक 13 साल के स्कूली छात्र ने याचिका दायर की थी। इस याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अलावा लोक निर्माण विभाग से भी जवाब मांगा था। एनजीटी पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने इस मामले की सुनवाई जरूरी बताया और कहा कि 8 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। कबूतरों की बीट में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया फूड-प्वाइजनिंग का कारण बन सकते हैं और इनसे हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। पिछले दिनों पुणे और दिल्ली में भी ऐसी खबरें आई थी, लेकिन उन पर कोई कारवाई नहीं की गई।
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