UP MLA MLC Salary Increase : योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के विधायकों, मंत्रियों और विधान परिषद सदस्यों के वेतन-भत्तों में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश विधानमंडल सदस्य एवं मंत्री सुख-सुविधा अधिनियम विधेयक, 2025 विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि की गई है। यह वृद्धि 9 वर्षों बाद हुई है। इस फैसले से सरकार पर 105.21 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार बढ़ेगा। मार्च 2025 में गठित की गई समिति की सिफारिशों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इस पर सीएम योगी ने भी सहमति जताई है। वहीं, सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष ने भी इसे स्वीकार कर लिया है। अब विधायकों का वेतन 25 हज़ार से बढ़कर 35 हज़ार और मंत्रियों का वेतन 40 हज़ार से बढ़कर 50 हज़ार हो जाएगा।
सुरेश खन्ना के अलावा, समिति में माता प्रसाद पांडेय, आशीष पटेल, राजपाल बलियान, संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर, आराधना मिश्रा मोना और रघुराज सिंह शामिल थे। सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि सीएम का वेतन 25,000 रुपये से बढ़ाकर 35,000 रुपये किया जाए। इसी प्रकार, मंत्रियों का वेतन 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया जाए। निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये किया जाए। इसी प्रकार, रेलवे कूपन 4 लाख 25 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाए। दैनिक भत्ता 2 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये किया जाए। जनसेवा कार्यों के लिए दैनिक भत्ता 1500 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये किया जाए। चिकित्सा भत्ता जो अभी तक 30 हज़ार रुपये था, उसे बढ़ाकर 45 हज़ार रुपये किया जाए।
इसी प्रकार, टेलीफोन भत्ता 6 हज़ार रुपये से बढ़ाकर 9 हज़ार रुपये किया जाए। पेंशन 25 हज़ार से बढ़ाकर 35 हज़ार प्रति माह की जाए। सुरेश खन्ना ने कहा कि विधान परिषद के पूर्व सदस्य को 6 वर्ष पूरे होने पर 2 हज़ार रुपये प्रति माह अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी। यदि किसी सदस्य का कार्यकाल 6 महीने या उससे अधिक है, तो उसे एक पूरा वर्ष माना जाएगा और यदि उससे कम है, तो उसे एक वर्ष से कम माना जाएगा। पारिवारिक पेंशन न्यूनतम 25 हज़ार रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 30 हज़ार रुपये कर दी गई है।
पूर्व विधायकों को रेलवे कूपन के लिए एक लाख रुपये मिलते थे, जिसमें से 50 हज़ार रुपये निजी वाहन के लिए होते थे। अब इसे एक लाख रुपये से बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें 105 करोड़ 63 लाख रुपये का वार्षिक प्रावधान किया गया है। इससे सरकार पर 105 करोड़ 21 लाख 63 हज़ार रुपये का बोझ पड़ेगा। इससे पहले अगस्त 2016 में भी बढ़ोतरी हुई थी।
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