80 लाख वोटरों के नाम हटाए गए...SIR को लेकर केंद्र पर बरसीं डिंपल यादव, कर डाली ये मांग

खबर सार :-
Parliament Monsoon Session: संसद सत्र के 8वें दिन, SP सांसद डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने SIR प्रक्रिया को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने चुनाव आयोग समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को शामिल करने की मांग की।

80 लाख वोटरों के नाम हटाए गए...SIR को लेकर केंद्र पर बरसीं डिंपल यादव, कर डाली ये मांग
खबर विस्तार : -

Parliament Monsoon Session: लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उत्तर प्रदेश उपचुनावों की निष्पक्षता को लेकर गंभीर समाजवादी पार्टी (SP) की सांसद डिंपल यादव ने सरकार पर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि कई पोलिंग बूथ पर सादे कपड़ों में पुलिस अधिकारियों को वोट डालते हुए पकड़ा गया। डिंपल यादव के अनुसार, समाजवादी पार्टी ने इन घटनाओं के बारे में चुनाव आयोग से कई बार शिकायत की, लेकिन इसके बावजूद संबंधित बूथों की CCTV फुटेज नहीं दी गई। 

Parliament Monsoon Session: डिंपल यादव सरकार पर बोला हमला

डिंपल यादव ने कहा कि यह फुटेज पोलिंग स्टेशनों पर क्या हुआ, इसका साफ सबूत दे सकती थी, लेकिन प्रशासन जानबूझकर इसे रोक रहा है। उन्होंने सवाल किया कि जब चुनावी प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है, तो जनता लोकतांत्रिक संस्थानों पर कैसे भरोसा कर सकती है। डिंपल यादव ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार पर भी हमला बोला। 

उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों में डर पैदा करने के लिए इसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में NRC लागू होने के दौरान, लगभग 80 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए, जिससे चुनावी संतुलन बिगड़ गया। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार संवैधानिक संस्थानों का राजनीतिक दुरुपयोग कर रही है और विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

 बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग

डिंपल यादव ने मांग की कि चुनाव आयोग वोटिंग प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों की स्वतंत्र जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे, चाहे वे अधिकारी हों या किसी राजनीतिक पार्टी से जुड़े हों। उन्होंने यह भी मांग की कि चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं। डिंपल यादव ने जनता से अपने वोट के अधिकार और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता लोकतंत्र की नींव है, और इसकी रक्षा करना सरकार और चुनाव आयोग दोनों की जिम्मेदारी है।

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