Bihar Assembly Elections : कुर्था में समय के साथ बदली सियासी हवा, जानें समाजवादी विरासत से चुनावी दंगल तक की कहानी

खबर सार :-
बिहार के अरवल जिले में मगध के उपजाऊ मैदानों के बीच स्थित कुर्था ऐतिहासिक व राजनीतिक रणभूमि है। सोन नदी के किनारे स्थित यह क्षेत्र सदियों से बदलाव का गवाह रहा है। यहां की राजनीति में बहुत पहले से ही गहरी समाजवादी सोच रही है। कुर्था की भूमि जितनी उपजाऊ है, यहां की सियासत उतनी ही कठिन और ऐतिहासिक है। विधानसभा क्षेत्र बनने के बाद से अब तक इस सीट पर समाजवादियों का गहरा प्रभाव रहा है।

Bihar Assembly Elections : कुर्था में समय के साथ बदली सियासी हवा, जानें समाजवादी विरासत से चुनावी दंगल तक की कहानी
खबर विस्तार : -

Bihar Assembly Elections :  बिहार के अरवल जिले में मगध के उपजाऊ मैदानों के बीच बसा कुर्था, सिर्फ एक विकास खंड नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रणभूमि है। सोन नदी की जीवनदायिनी धारा के किनारे स्थित यह क्षेत्र सदियों से बदलाव का गवाह रहा है। धान, गेहूं और दलहन की हरी-भरी फसलों के बीच यहां की राजनीति में हमेशा एक गहरी समाजवादी जड़ रही है।

कुर्था की भूमि जितनी उपजाऊ है, यहां की सियासत उतनी ही जटिल और ऐतिहासिक रही है। 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित होने के बाद इस सीट पर समाजवादियों का गहरा प्रभाव रहा है। शुरुआती दशकों में सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल और जनता पार्टी जैसी पार्टियों को बारी-बारी से जीत मिलती रही।

Bihar Assembly Elections : विरासत का सबसे बड़ा नाम रहे जगदेव बाबू 

इस विरासत का सबसे बड़ा नाम रहे बिहार के दिग्गज समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद ऊर्फ जगदेव बाबू। उन्होंने कुर्था का प्रतिनिधित्व 1967 और 1969 में लगातार दो बार विधायक बनकर किया, जिससे इस क्षेत्र की पहचान राज्य की राजनीति में मजबूत हुई। उन्होंने 1968 में चार दिनों के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था। उनके बेटे नागमणि कुशवाहा भी इस सीट से दो बार चुनाव जीते। हालांकि, समय के साथ यहां की सियासी हवा बदली।

हाल के वर्षों में यह मुकाबला मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच केंद्रित हो गया है। इन दोनों दलों ने यहां दो-दो बार परचम लहराया है, जबकि कांग्रेस भी दो बार जीती है। 2020 के विधानसभा चुनाव ने एक नया अध्याय लिखा। यह मुकाबला सीधे-सीधे राजद और जदयू के बीच था। राजद के उम्मीदवार बागी कुमार वर्मा ने जदयू के सत्यदेव सिंह को हराया। बागी कुमार वर्मा ने भारी अंतर से जीत हासिल की और कुर्था की कमान अपने हाथ में ले ली। 

Bihar Assembly Elections : जातिगत समीकरणों के प्रति जागरूक हैं मतदाता

यहां के मतदाता जातिगत समीकरणों के प्रति बहुत जागरूक रहे हैं। इस ग्रामीण सीट पर भूमिहार, कुर्मी, रविदास, राजपूत और कोइरी वोटरों की निर्णायक भूमिका है। कुर्था की आबादी में कुशवाहा, यादव और भूमिहार समुदाय प्रमुख हैं, जो चुनावी रणनीतियों की दिशा तय करते हैं। कुर्था मगध जोन का हिस्सा रहा है, जो 1990 और 2000 के दशक में जहानाबाद के जंगलों से गया की पहाड़ियों तक माओवादियों के लिए एक ट्रांजिट कॉरिडोर के रूप में कार्य करता था। हालांकि, 2020 के बाद स्थिति में बड़ा सुधार आया और यहां कोई बड़ी हिंसक घटना सामने नहीं आई है। कुर्था विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से एक ग्रामीण सीट है।

Bihar Assembly Elections : यहां का चुनाव विकास की दिशा तय करने का निर्णायक मोड़ 

कुर्था की कहानी मगध के गौरवशाली अतीत, एक समाजवादी विरासत, नक्सल के साए से उबरने की कोशिश और एक जटिल चुनावी गणित का मिश्रण है। यहां का हर चुनाव सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की पहचान और विकास की दिशा तय करने का एक निर्णायक मोड़ होता है।
 

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