Bihar Assembly Elections : बिहार के अरवल जिले में मगध के उपजाऊ मैदानों के बीच बसा कुर्था, सिर्फ एक विकास खंड नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रणभूमि है। सोन नदी की जीवनदायिनी धारा के किनारे स्थित यह क्षेत्र सदियों से बदलाव का गवाह रहा है। धान, गेहूं और दलहन की हरी-भरी फसलों के बीच यहां की राजनीति में हमेशा एक गहरी समाजवादी जड़ रही है।
कुर्था की भूमि जितनी उपजाऊ है, यहां की सियासत उतनी ही जटिल और ऐतिहासिक रही है। 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित होने के बाद इस सीट पर समाजवादियों का गहरा प्रभाव रहा है। शुरुआती दशकों में सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल और जनता पार्टी जैसी पार्टियों को बारी-बारी से जीत मिलती रही।
इस विरासत का सबसे बड़ा नाम रहे बिहार के दिग्गज समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद ऊर्फ जगदेव बाबू। उन्होंने कुर्था का प्रतिनिधित्व 1967 और 1969 में लगातार दो बार विधायक बनकर किया, जिससे इस क्षेत्र की पहचान राज्य की राजनीति में मजबूत हुई। उन्होंने 1968 में चार दिनों के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम किया था। उनके बेटे नागमणि कुशवाहा भी इस सीट से दो बार चुनाव जीते। हालांकि, समय के साथ यहां की सियासी हवा बदली।
हाल के वर्षों में यह मुकाबला मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच केंद्रित हो गया है। इन दोनों दलों ने यहां दो-दो बार परचम लहराया है, जबकि कांग्रेस भी दो बार जीती है। 2020 के विधानसभा चुनाव ने एक नया अध्याय लिखा। यह मुकाबला सीधे-सीधे राजद और जदयू के बीच था। राजद के उम्मीदवार बागी कुमार वर्मा ने जदयू के सत्यदेव सिंह को हराया। बागी कुमार वर्मा ने भारी अंतर से जीत हासिल की और कुर्था की कमान अपने हाथ में ले ली।
यहां के मतदाता जातिगत समीकरणों के प्रति बहुत जागरूक रहे हैं। इस ग्रामीण सीट पर भूमिहार, कुर्मी, रविदास, राजपूत और कोइरी वोटरों की निर्णायक भूमिका है। कुर्था की आबादी में कुशवाहा, यादव और भूमिहार समुदाय प्रमुख हैं, जो चुनावी रणनीतियों की दिशा तय करते हैं। कुर्था मगध जोन का हिस्सा रहा है, जो 1990 और 2000 के दशक में जहानाबाद के जंगलों से गया की पहाड़ियों तक माओवादियों के लिए एक ट्रांजिट कॉरिडोर के रूप में कार्य करता था। हालांकि, 2020 के बाद स्थिति में बड़ा सुधार आया और यहां कोई बड़ी हिंसक घटना सामने नहीं आई है। कुर्था विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से एक ग्रामीण सीट है।
कुर्था की कहानी मगध के गौरवशाली अतीत, एक समाजवादी विरासत, नक्सल के साए से उबरने की कोशिश और एक जटिल चुनावी गणित का मिश्रण है। यहां का हर चुनाव सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की पहचान और विकास की दिशा तय करने का एक निर्णायक मोड़ होता है।
अन्य प्रमुख खबरें
मुसलमानों को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं असदुद्दीन ओवैसी : चिराग पासवान
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में बनाई मुस्लिम भाईचारा कमेटी
शहाबुद्दीन के गढ़ में गरजे योगी, बोले— “बिहार अब अपराध और भ्रष्टाचार से मुक्त शासन चाहता है”
Mahagathbandhan Manifesto 2025 : क्या “रोजगार” तेजस्वी यादव को बिहार की सत्ता तक पहुँचा पाएगा?
चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर पर कसा शिकंजा, दो वोटर आईडी मामले में थमाया नोटिस
चिराग पासवान ने लगाया विपक्ष के सवालों पर विराम, नीतीश को लेकर कही ये बात
बीबीसी तमिल पर देश में अशांति फैलाने का आरोप, तमिलनाडु भाजपा ने दर्ज कराई शिकायत
'बिहार में एनडीए की तरफ से मुख्यमंत्री का चेहरा कौन', तेजस्वी यादव ने पूछे सवाल
अब कबीरधाम के नाम से जाना जाएगा मुस्तफाबाद... सीएम योगी ने की घोषणा
महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को चुना सीएम चेहरा, अशोक गहलोत ने किया ये बड़ा ऐलान
PM Modi Bihar Visit: समस्तीपुर से पीएम मोदी करेंगे चुनावी शंखनाद, SPG ने संभाली सुरक्षा की कमान
Amit Shah Birthday: अमित शाह के जन्मदिन पर PM मोदी समेत भाजपा नेताओं ने दी बधाई
अंबिका सोनी के पति उदय सोनी का निधन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जताया शोक