आठ साल में योगी ने बदली यूपी की तस्वीर
Summary : धर्म-दर्शन, कला, विज्ञान के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश कई शताब्दियों तक विश्व के मानचित्र पर चमकता रहा है। राम, कृष्ण का अवतार इस भूमि पर हुआ था। अनादिकाल से काशी भी शिव की आराधना का केन्द्र रही है। भगवान बुद्ध और महावीर की भी उत्तर प्रदेश कर्मभूमि रही है।
निरंकार सिंह
धर्म-दर्शन, कला, विज्ञान के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश कई शताब्दियों तक विश्व के मानचित्र पर चमकता रहा है। राम, कृष्ण का अवतार इस भूमि पर हुआ था। अनादिकाल से काशी भी शिव की आराधना का केन्द्र रही है। भगवान बुद्ध और महावीर की भी उत्तर प्रदेश कर्मभूमि रही है। प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों में उत्तर प्रदेश कभी पिछड़ा प्रदेश नहीं रहा है। यहां तक कि मुगल आक्रांताओं और ब्रिटिश शासन में भी उत्तर प्रदेश की गिनती पिछड़े प्रदेशों में नहीं होती थी लेकिन देश की आजादी के बाद यह प्रदेश धीरे-धीरे पिछड़ता चला गया और पिछली गैर-भाजपा सरकारों के कार्यकाल में इस प्रदेश की गिनती पिछड़े प्रदेशों में होने लगी। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में तो उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार, लूटपाट और अराजकता का केन्द्र बन गया था। कोई भी उद्यमी यहां पर उद्योग-धंधों को लगाने से कतराता था लेकिन योगी आदित्यनाथ के सत्ता की बागडोर संभालने के बाद इस प्रदेश की तस्वीर बदलने लगी। आज यहां पूरी तरह से कानून का शासन है और बड़े-बड़े अपराधियों, माफिया गिरोहों की दुकानें बंद हो गई हैं। पूरे प्रदेश में अमन-चैन के साथ आप इस प्रदेश में कोई भी कारोबार कहीं भी कर सकते हैं। इसका परिणाम आज सबके सामने है। देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश का योगदान 9.2 प्रतिशत के साथ दूसरे नम्बर पर है। पिछले आठ साल में उत्तर प्रदेश की तस्वीर पूरी तरह से बदल गयी है। आज योगी आदित्यनाथ की सरकार देश में मिसाल के तौर पर पेश की जाती है।
आज उत्तर प्रदेश उपद्रवियों के लिए नही, बल्कि उत्सवों के प्रदेश के रूप में जाना जाता है। अब उत्तर प्रदेश माफिया के लिए नहीं, महोत्सव के लिए जाना जाना जाता है। उत्तर प्रदेश गुंडाराज, माफियाराज और जंगलराज जैसे शब्द अब अतीत के शब्द बन गए हैं। उत्तर प्रदेश विकास की नई बुलंदियों को छू रहा है। आठ साल में जो परिवर्तन हुआ, वह नए यूपी की गाथा को सबके सामने रखता। ये 08 साल यूपी के लिए महत्वपूर्ण रहे। फुल मेजोरिटी की सरकार और स्थिरता, प्रशासन में स्थायित्व आया है। सालों बाद ऐसा हो रहा कि डीएम जिले में कार्यकाल पूरा कर रहे। पहले ताश के पत्तों की तरह फेंटे जाते थे सब। 8 साल में दंगामुक्त प्रदेश, सबसे अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर, 2 करोड़ युवाओं को तकनीकी रूप से सक्षम करने के लिए टैबलेट और स्मार्टफोन योजना के तहत 20 लाख से अधिक बांटे गए हैं। कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां के युवाओं को बिना भेदभाव के सरकारी नौकरी न मिली हो। कोविड के दौरान बाहर न आने वाले श्रमिकों और कामगारों को काम मिला। 1 लाख 64 हजार से अधिक पुलिस भर्ती बिना जातिवाद और बिना परिवारवाद के हुई। पुलिस रिफॉर्म के प्रयास हुए। 7 पुलिस कमिश्नरेट बने। तहसील स्तर पर फायर टेंडर की स्थापना का काम हुआ। साइबर थाने की जिला स्तर पर स्थापना के काम को आगे बढ़ाया गया। पुलिस ट्रेनिंग क्षमता 3 गुना हुई। लखनऊ में फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट बन रहा है। पुलिस बल में महिला कार्मिकों की संख्या बढ़ी है। महिला पुलिस कार्मिकों की संख्या 10 हजार से बढ़कर 40 हजार पहुंच गयी है।
नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंधित से प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर की श्रेणी में रखा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की अवधि में प्रदेश के समेकित ‘फिस्कल हेल्थ इंडेक्स’ में 8.9 अंकों का इजाफा हुआ है। व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है, वर्ष 2018 से 23 की अवधि में पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा। देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022-2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा, जो महाराष्ट्र के उपरांत देश में सर्वाधिक है। उक्त वर्षों में सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा। सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों की स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत उक्त वर्षों में क्रमशः 6.5, 7.0 और 7.2 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह अनुपात क्रमशः 7.6, 9.8 और 10 प्रतिशत रहा।
आज उत्तर प्रदेश के युवाओं के सामने पहचान का संकट नहीं है। वे चाहे जहां जाएं। 6 साल में 5 लाख करोड़ से अधिक की औद्योगिक विकास की इकाइयां स्थापित की गयीं। इनमें कई में प्रोडक्शन हो रहा है। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि 35 लाख करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव आएंगे। बेरोजगारी दर जो 2016 में 18 फीसदी थी, वह आज 3 से 4 फीसदी है। जितना गन्ना मूल्य भुगतान 2007 से 2017 के बीच हुआ, उसका दोगुना योगी सरकार ने 2017 के बाद किया। सरकार 2 लाख 2 हजार करोड़ से अधिक का गन्ना मूल्य भुगतान कर चुकी है। एथनॉल उत्पादन में प्रदेश देश में नंबर 1 पर है। आज 118 करोड़ लीटर एथनॉल उत्पादन यूपी कर रहा है। देश के सर्वाधिक स्मार्टफोन का उत्पादन यूपी में हो रहा है। देश का सबसे बड़ा डेटा सेन्टर यूपी में है। विपक्षी दलों की सरकारों के उदासीन रवैए से संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार सुस्त रही। 2017 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार आने के बाद प्रदेश में विकास का पहिया तेजी से घूमा है और देश की जीडीपी में प्रदेश की हिस्सेदारी दूसरे नम्बर पर पहुंच गई है। देश का सबसे बड़ा राज्य और सबसे अधिक संसाधन होने के बावजूद 1950 से 2017 तक प्रदेश की जीएसडीपी 12.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकी, जबकि 2017 में जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों पर विश्वास जताया और पिछले आठ वर्षों में प्रदेश की जीएसडीपी दोगुने से अधिक होकर 2024-25 में 27.51 लाख करोड़ होने जा रही है।
वर्ष 2023-2024 में देश की जीडीपी की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत है, जबकि उत्तर प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है। 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52.271 रूपये थी, वर्ष 2023-2024 में 93.514 रूपये है। 2016-2017 में कुल राजस्व प्राप्तियां 02 लाख 56 हजार रूपये हुई थी जबकि चालू वित्तीय वर्ष के जनवरी माह तक ही 04 लाख 10 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है। आज उत्तर प्रदेश रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। कर अपवंचन को रोका गया है। रेवेन्यू, लीकेज को समाप्त किया गया है। बीते आठ वर्ष में एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया। प्रदेश में डीजल-पेट्रोल की दरें देश में सबसे कम हैं, बावजूद इसके उत्तर प्रदेश रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। आज टैक्स का इस्तेमाल जनता के हित में हो रहा है। जैसे हाईवे बने, पुल बने, स्कूल-कालेज बने और अस्पताल बने हैं। उत्तर प्रदेश 400 लाख टन सब्जियों का उत्पादन करते हुए देश में प्रथम स्थान पर है। उत्तर प्रदेश डिजिटल क्रांति का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण बनकर उभरा है। 2017-18 में यूपी में जहां 122.84 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए थे, वहीं 2024-25 में दिसम्बर 2024 तक 1024.41 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन हो चुके हैं। यूपी डिजिटल लेन-देन अपनाने में नंबर एक है। आधे से अधिक लेन-देन यूपीआई से हुए। प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और बेईमानी पर कठोर प्रहार कर रही है। 11 विभागों की 207 योजनाओं की धनराशि डीबीटी के माध्यम से दी जा रही हैं। इसमें 113 केन्द्रीय योजनाएं और 94 राज्य सेक्टर की योजनाएं हैं। डीबीटी से 09 करोड़ 08 लाख से अधिक लोगों को 01 लाख 11 हजार 637 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया। इससे प्रदेश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। अप्रैल 2000 से जून 2017 तक 3,303 करोड़ रूपये फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई) के जरिए यूपी को मिले, वहीं अप्रैल 2017 से सितंबर 2024 तक 14 हजार 8 करोड़ रूपये से अधिक आया है। यह बताता है कि प्रदेश सही दिशा में आगे बढ़ा है।
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